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मनिहारी-साहेबगंज गंगा पुल बनने से होगा क्षेत्र का विकास

मनिहारी-साहेबगंज गंगा पुल बनने से होगा क्षेत्र का विकासखुशखबरी. बहुप्रतीक्षित मनिहारी-साहेबगंज गंगा नदी पर पुल निर्माण का मार्ग प्रशस्त फोटो नं. 3 कैप्सन-कुछ इस तरह स्टीमर लंच से गंगा नदी को पार करते हैं लोग.प्रतिनिधि, कटिहारपूर्वोत्तर भारत व देश को अन्य हिस्सों को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित मनिहारी-साहेबगंज गंगा नदी पर पुल निर्माण को लेकर इ-टेंडर […]

मनिहारी-साहेबगंज गंगा पुल बनने से होगा क्षेत्र का विकासखुशखबरी. बहुप्रतीक्षित मनिहारी-साहेबगंज गंगा नदी पर पुल निर्माण का मार्ग प्रशस्त फोटो नं. 3 कैप्सन-कुछ इस तरह स्टीमर लंच से गंगा नदी को पार करते हैं लोग.प्रतिनिधि, कटिहारपूर्वोत्तर भारत व देश को अन्य हिस्सों को जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित मनिहारी-साहेबगंज गंगा नदी पर पुल निर्माण को लेकर इ-टेंडर होने के बाद अब लोगों की आस जग गयी है. यद्यपि लोगों को यह उम्मीद नहीं थी कि यह मेगा प्रोजेक्ट साकार होगा. हालांकि प्रभात खबर पिछले एक वर्षों से इस प्रस्तावित पुल व सड़क निर्माण को लेकर केंद्र व बिहार तथा झारखंड सरकार द्वारा की गयी पहल से अवगत कराते हैं. केंद्रीय भूतल व परिवहन मंत्रालय से प्रोजेक्ट की राशि स्वीकृत से लेकर दोनों राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक, स्थल निरीक्षण व अनापत्ति प्रमाण पत्र देने सहित पुल सह सड़क निर्माण की दिशा में किये जा रहे प्रयास की अपडेट प्रभात खबर ने पाठकों को समय-समय पर दी है. अब इस खास पुल सह सड़क निर्माण को लेकर ई-टेंडर हो चुका है. अब लोगों को यह उम्मीद जग गयी है कि यह बहुप्रतीक्षित मेगा प्रोजेक्ट का काम रफ्तार पकड़ेगी. दरअसल, मनिहारी-साहेबगंज के बीच गंगा नदी पर पुल सह फोर लेन सड़क निर्माण से न केवल बिहार झारखंड की दूरी कम होगी बल्कि पूर्वोत्तर भारत सहित देश के कई हिस्सों में इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. -पूर्वोत्तर भारत व झारखंड की घटेगी दूरी मनिहारी-साहेबगंज के बीच गंगा नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण कई मायनों में महत्वपूर्ण है. अगर इस प्रस्तावित पुल निर्माण का कार्य रफ्तार पकड़ता तो न केवल बिहार-झारखंड के बीच व्यापार व अन्य मामलों में सुविधा होती बल्कि पूर्वोत्तर भारत, बंगाल से झारखंड का सीधा संपर्क हो जाता है. पुल निर्माण होने से सामरिक महत्व के साथ-साथ सांस्कृतिक, शैक्षणिक, सामाजिक, व्यापारिक मामलों को बढ़ावा मिलता है. -तीन माह पूर्व राज्यों ने दिया एनओसीइस प्रस्तावित पुल निर्माण को लेकर केंद्र सरकार को संबंधित राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र की जरूरत थी. करीब चार महीना पहले झारखंड सरकार ने अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) केंद्र मंत्रालय के संबंधित एजेंसी को दे दिया था. उसके एक माह बाद बिहार सरकार ने भी एलायमेंट स्वीकृति देते हुए एनओसी दे दिया था. उसके बाद मंत्रालय ने पुल निर्माण में दिलचस्पी दिखायी और कई स्तरों पर शीर्ष अधिकारियों की बैठकें होती रही. समय-समय पर मिलती गतिविधियों की वजह से लोगों में यह आशा जगी कि यह बहुप्रतीक्षित परियोजना से आकार रूप ले लेगा.2000 करोड़ का हुई इ-टेंडरराज्य सरकार से एलायमेंट की स्वीकृति व एनओसी मिलने के बाद केंद्र के संबंधित मंत्रालय ने दिलचस्पी बढ़ायी व कई तरह की प्रक्रिया शुरू की गयी. मसलन, डीपीआर के लिए कंसलटेंसी एजेंसी को डीपीआर को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया गया. साथ ही जिला प्रशासन कटिहार के साथ मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक कर भूमि अधिग्रहण करने के लिए एलायमेंट की प्रति छोड़ी गयी. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू की गयी. किसी तरह कई काम भी आगे बढ़ा. इन तमाम प्रक्रिया को देखते हुए यह उम्मीद लग रही थी कि यह बहुप्रतीक्षित पुल निर्माण का काम जल्दी ही शुरू होगी. करीब 2000 करोड़ के इ-टेंडर निकलने के बाद लोगों को पुल बनने की उम्मीद जगी है. कहते हैं जिला भू-अर्जन अधिकारीइस संबंध में जिला भू-अर्जन अधिकारी परमानंद कुमार ने बताया कि कटिहार-मनिहारी के बीच चलने वाले फोर लेन सड़क निर्माण को लेकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है. फिलहाल अधिग्रहण किये जाने वाले भूमि का सर्वे व खतियान का सत्यापन कराया जा रहा है.

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