गरीबों का नहीं भर रहा पेट-मामला खाद्य आपूर्ति का कटिहार. केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने तो खाद्य सुरक्षा अधिनियम बना दिया ताकि गरीब भूखे पेट नहीं सो सकें. गरीबों को तो अनाज मिल रहा है, लेकिन अनाज में गुणवत्ता नहीं होने के कारण उनका पेट आधा अधूरा ही भर रहा है. हम बात कर रहे हैं जनवितरण प्रणाली की दुकान से मिलने वाले राशन का. इस दुकान से जिस तरह का चावल लाभुकों को दिया जाता है, सही मायनों में यह पेट भरने लायक नहीं होता है. इस चावल से भात बनाने पर एक दाना में मात्र आधा चावल का ही भात बन पाता है. -गेहूं आपूर्ति भी गुणवत्ता पूर्ण नहींचावल में जहां एक ओर कई दोष व्याप्त है. वहीं गेहूं भी गुणवत्ता पूर्ण नहीं है. गेहूं कि जो सप्लाई जन वितरण प्रणाली की दुकान से किया जाता है. उसमें अधिकतर कंकड़ पत्थर रहता है. आटा पिसाने पर वजन कम और आटा भी सही नहीं निकलता है. अनाज की सप्लाई निविदा सेजानकारी के अनुसार लाभार्थियों को मिलने वाला चावल सरकारी स्तर पर निविदा प्राप्त ठेकेदारों द्वारा सरकार को दी जाती है. चावल को तैयार यही ठेकेदार करते हैं, जिनमें गुणवत्ता की भारी कमी रहती है. इनकी तो जेब भरती है, लेकिन गरीबों के पेट पर लात पड़ती है.
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गरीबों का नहीं भर रहा पेट
गरीबों का नहीं भर रहा पेट-मामला खाद्य आपूर्ति का कटिहार. केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने तो खाद्य सुरक्षा अधिनियम बना दिया ताकि गरीब भूखे पेट नहीं सो सकें. गरीबों को तो अनाज मिल रहा है, लेकिन अनाज में गुणवत्ता नहीं होने के कारण उनका पेट आधा अधूरा ही भर रहा है. हम बात कर […]
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