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रखरखाव के अभाव में भूत बंगला बना डाक बंगला

रखरखाव के अभाव में भूत बंगला बना डाक बंगला फोटो नं. 8 कैप्सन-भूत बंगला बना जिला परिषद का डाक बंगला. प्रतिनिधि, कटिहार शहर के शहीद चौक के बगल में स्थापित जिला परिषद का डाक बंगला इन दिनों खंडहर बन भूत बंगला के रूप में विद्यमान है. लोग बताते हैं कि यह डाक बंगला अंग्रेजों के […]

रखरखाव के अभाव में भूत बंगला बना डाक बंगला फोटो नं. 8 कैप्सन-भूत बंगला बना जिला परिषद का डाक बंगला. प्रतिनिधि, कटिहार शहर के शहीद चौक के बगल में स्थापित जिला परिषद का डाक बंगला इन दिनों खंडहर बन भूत बंगला के रूप में विद्यमान है. लोग बताते हैं कि यह डाक बंगला अंग्रेजों के शासनकाल में अतिथि गृह के रूप में निर्माण कराया गया था. जहां अंग्रेज अधिकारी के अलावे जमींदारों के मुलाजिम आकर अतिथि के रूप में ठहरा करते थे. कालांतर में यह संपत्ति जिला परिषद की घोषित की गयी. तब से बिहार सरकार के अधिकारी, जनप्रतिनिधि गण आदि डाक बंगला में ठहरा करते थे. क्योंकि उस वक्त कटिहार में एक मात्र यही डाक बंगला या अतिथि-गृह हुआ करता था. जिला परिषद अध्यक्ष के पद पर स्व मुबारक हुसैन अपने कार्यकाल में इस डाक बंगला का भरपूर उपयोग करते हुए इसे अस्तित्व में लाया, तभी से लोग इसे जिला परिषद का डाक बंगला के रूप में जानने लगे. तत्पश्चात कई जनप्रतिनिधियों ने भी इस डाक बंगला को अतिथि-गृह के रूप में उपयोग करते रहे. कभी जिला अतिथि-गृह (डाक बंगला) की रौनकजिला में एक मात्र अतिथि गृह होने के कारण यहां की रौनक काबिले तारीफ था. डाक बंगला परिसर को साफ-सफाई, भवन की मरम्मती एवं रंग-रोगन, जिले के पार्षदों एवं अधिकारियों के वाहनों का जमावड़ा, थाना के पुलिस आदि की मौजूदगी, अपने काम को लेकर जनप्रतिनिधियों से मिलने वालों का तांता लगा रहता था. जिससे यहां की रौनक देखते बनता था. जिला परिषद डाक बंगला खुलने के बाद रात्रि के नौ से दस बजे बंद हुआ करता था. यहां जिला भर के लोगों का आना-जाना था. पूरे जिला के लोग जान पाये कि यह डाक बंगला जिला परिषद का है और यहां जनप्रतिनिधि गणों से यहां मुलाकात अवश्य हो जाया करता था. लेकिन कालांतर में सब कुछ समाप्त हो गया. डाक बंगला अब खंडहर के रूप में जिला में जिला परिषद आज भी कार्यरत है. लेकिन जिला परिषद अध्यक्ष, सदस्य एवं प्रशासन की उदासीनता के कारण डाक बंगला भवन व परिसर पहचान में नहीं आता कि कभी यहां रौनक था. भले ही जिला परिषद अध्यक्ष के ठहरने के लिए आवासीय भवन जरूर बनाया गया है. लेकिन उसका भी उपयोग नहीं हो पाता है बल्कि जिला परिषद के कुछ कर्मचारी या गार्ड अपना निवास बना कर गाय आदि जरूर पाल रहे हैं. साफ-सफाई के अभाव में यह भवन एवं परिसर भूत बंगला के रूप में जरूरी दिखता है बल्कि अपराधी किस्म के लोगों का शरणगाह बनने में कोई आशंका नहीं है. वहीं शहर के कचरे को रखने के काम जरूर आ रहा है. शहर के कुछ लोग इस परिसर का व्वसायिक उपयोग जरूर किया करते हैं. हालांकि जिला परिषद के सदस्यों का कहना जरूर होता है कि डाक बंगला के जीर्णोद्धार के लिए कई बार योजनाएं ली गयी है, जो अभी तक कार्यान्वित नहीं हो पाया है. इसके लिए कुछ जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी की उदासीनता के चलते यह स्थिति बरकरार है. देखना है आने वाले दिनों में डाक बंगला अपना अस्तित्व ही न खो बैठे.

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