मनिहारी के लेखक ने लौटायी पुरस्कार राशि -राजभाषा विभाग की ओर से अनुदान पुरस्कार राशि देने का मामलालेखक की शारीरिक स्थिति है खराबपुरस्कार राशि लेने पटना जाने में हैं असमर्थ विभाग अड़ा है पटना बुलाने पर प्रतिनिधि, मनिहारी (कटिहार)मनिहारी के नवाबगंज निवासी सदानंद पाल ने राजभाषा विभाग का अनुदान पुरस्कार राशि नहीं लेने की बात कही है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की उदासीनता असहिष्णुता के कारण पुरस्कार राशि लौटाने को लेकर मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्य सचिव को पत्र के माध्यम से सूचना दी है. उन्होंने बताया कि 27 मई 2015 को बिहार सरकार के सचिवालय से फोन आया कि मुझे हिंदी पांडुलिपि प्रकाशन अनुदान योजना 2014-15 के लिए आठ हजार रुपया डीडी के माध्यम से दी जायेगी. इसके लिए राजभाषा विभाग पटना बुलाया गया, किंतु शारीरिक समस्या के कारण मैंने साक्ष्य के साथ डीडी भेजने का आवेदन पत्र एक जून को भेजा. कोई जवाब नहीं मिलने पर मैने आरटीआइ के तहत डीडी नहीं भेजने की जानकारी चाही. कई दिनों के बाद पुन: फोन किया गया कि खुद सहित दो गवाहों के साथ डीडी लेने पटना आयें. मैने एसएमएस के द्वारा उन्हें जानकारी दी कि दो गवाहों के साथ पटना आने-जाने से 3500 रुपये लगभग खर्च आयेंगे. आठ हजार रुपये के डीडी पाउती पर हस्ताक्षर करा लेने की बात बिहार सरकार की मुझे समझ आ गयी. तभी तो अपील पर ही सशरीर एक दिसंबर को पटना बुलाया है. बिहार सरकार की नियत उदासीनता, असहिष्णुता आदि मुझे सम्मानित करने के लिए नहीं है. ऐसे में बिहार की नई सरकार को बधाई देने की अपेक्षा मैने आठ हजार का अदत डीडी विरोध में 21 नवंबर को स्पीड पोस्ट के माध्यम से नहीं लेने का फैसला लिया है.
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मनिहारी के लेखक ने लौटायी पुरस्कार राशि
मनिहारी के लेखक ने लौटायी पुरस्कार राशि -राजभाषा विभाग की ओर से अनुदान पुरस्कार राशि देने का मामलालेखक की शारीरिक स्थिति है खराबपुरस्कार राशि लेने पटना जाने में हैं असमर्थ विभाग अड़ा है पटना बुलाने पर प्रतिनिधि, मनिहारी (कटिहार)मनिहारी के नवाबगंज निवासी सदानंद पाल ने राजभाषा विभाग का अनुदान पुरस्कार राशि नहीं लेने की बात […]
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