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स्वास्थ्य व शक्षिा व्यवस्था पर उठा सवाल

स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था पर उठा सवाल कटिहार : कुरसेला की घटना ने शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है. एनएच एव स्टेट हाइवे के किनारे किस तरह निजी विद्यालय की स्थापना की स्वीकृति दी गयी. यह एक बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है. दूसरी तरफ स्कूल बस […]

स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था पर उठा सवाल

कटिहार : कुरसेला की घटना ने शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है. एनएच एव स्टेट हाइवे के किनारे किस तरह निजी विद्यालय की स्थापना की स्वीकृति दी गयी.

यह एक बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है. दूसरी तरफ स्कूल बस व ट्रक में हुई टक्कर के बाद घायलों को इलाज के लिए समीप के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समेली ले जाया गया, तो वहां की मौजूदा स्थिति ने सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की पोल खोल कर रख दी.

शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सवाल को लेकर मौजूदा व्यवस्था सिर्फ निपटाने की स्थिति में है. जिले में कई ऐसे उदाहरण हैं. जिससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था सरकार के प्राथमिकताओं में नहीं हैं.

स्वास्थ्य सेवाओं के दावों की खुली पोलप्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समेली में शुक्रवार को जिस तरह की स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति नजर आयी, कमोबेश वैसी स्थिति सदर अस्पताल सहित जिले के हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अनुमंडल अस्पताल की है. जरूरत पड़ने पर न तो अस्पताल में चिकित्सक दिखेंगे और न ही विपरीत परिस्थिति से निपटने की कोई मुकम्मल व्यवस्था ही है.

अभी हाल ही में शहर के एक व्यवसायी को गोली लगने के बाद सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां ऑपरेशन थियेटर खुलने में डेढ़ घंटा का समय लग गया. जब सदर अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था की ऐसी स्थिति है, तब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अनुमंडल हॉस्पिटल की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

जिले के अधिकांश सरकारी हॉस्पिटल का ओपीडी आयुष व बीडीएस के भरोसे चलता है. कहने को तो पीएचसी व अनुमंडल हॉस्पिटल सहित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चौबीस घंटे स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध है. समेली की घटना ने स्वास्थ्य सेवा के इस दावे की पोल खोल कर रख दी है.

बेरोक-टोक खुल रहे हैं निजी विद्यालय—निजी विद्यालय के खुलने को लेकर सरकार ने कई मापदंड बनाये हैं, लेकिन सरकारी प्रावधान की धज्जियां उड़ाते हुए बेरोक-टोक निजी विद्यालय खुल रहे हैं.

स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है. शिक्षा अधिकार कानून 2009 आने के बाद निजी विद्यालय के स्थापना को लेकर कई तरह के प्रावधान किये हैं. लेकिन निजी विद्यालय के खोलने व उसके संचालन में शायद ही उन प्रावधानों का अनुपालन किया जाता है.

इसकी निगरानी के लिए शिक्षा विभाग के तीन सदस्यीय टीम गठित की गयी है. लेकिन यह टीम भी अभिलेखों की शोभा ही बढ़ा रही है. जमीनी स्तर पर निजी विद्यालय की स्थापना व उसकी मनमानी को रोकने के लिए कोई कदम विभाग के द्वारा नहीं उठाया गया है.

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