कुरसेला : दशहरा उत्सव सामने है. इससे इतर सफाई, स्वच्छता उत्सव के सरोकारों से दूर है. जल-जमाव, कूड़ा का ढेर व सार्वजनिक स्थलों पर फैली गंदगियां दशहरा के रंग को फीका बना रहा है.
कुरसेला नया बाजार के स्टेशन रोड के प्रवेश पर फैली गंदगियां लोगों को मुंह चिढ़ाती नजर आती है. नीचे नाले का पानी और उस पर फुटकर दुकानों का बसेरा बना हुआ है.
सड़क किनारे के इन गंदगियों से किसी को मतलब नहीं रह गया है. फुटकर दुकानदारों ने ग्राहकों को दुकान तक नाले का पानी पार कर आने के लिए बांस का चचरी बना रखा है.
नालों के बिजबिजाते पानी के उपर पेट के खातिर दुकानदार सड़क पर दुकानदारी चला रहा है. इस स्थल के समीप भूंजा-नाश्ता, अंडा आदि समान बेचने वालों की कई दुकानें लगी है. इस संकरी जगहों पर चापाकल भी लगे हैं. जिसके पानी बहाव की समुचित व्यवस्था नहीं है. भूंजा नाश्तों के पत्तल व अन्य गंदगियां सब यही जमा होते हैं.
भूंजा बेचने वाले कई दुकानदार ऐसे भी हैं, जो नाश्ता के साथ अवैध शराब भी बेचने का कार्य करते हैं. शाम के वक्त इस गंदगियों के बीच नाश्ता करने वाले और पियक्कड़ों की टोली जमा होने लगती है. बदबू और गंदगी से बेपरवाह लोग नाश्ता और दारू पीने का कार्य करते हैं. स्टेशन रोड के एसएच-77 पर आगे भी गंदगियों का फैलाव बना रहता है. नया हाट के दुर्गा मंदिर के आसपास जल-जमाव,-कूड़ा-कचरा का ढेर वातावरण को दूषित बनाये हुए हैं.
मंदिर परिसर में जिन जगहों पर मेला लगाया जाता है, वहां भी कई प्रकार से गंदगियां बनी हुई है. अयोध्यागंज बाजार, टेंगरिया सहित बाजार के विभिन्न मुहल्लों में भी सार्वजनिक स्वच्छता में कमी देखी जा रही है.
स्वच्छता भागीदारी दिखावास्वच्छता अभियान पर विभिन्न अवसरों पर भागीदारी दिखावा भर होकर रह गया है. सफाई नाम के खानापूर्ति कर भागीदारी निभाने वाले दायित्वों के निर्वहन करने में मुंह मोड़ लेते हैं. सफाई, स्वच्छता को लेकर आम जनों के सोच और नजरिये में बदलाव नहीं आ सका है. ऐसी मानसिकता बनी रहती है कि सार्वजनिक स्थलों की साफ-सफाई संबंधित विभागों के लोग और निजी स्थानों के सार्वजनिक संचालन कर्ता करेंगे.
पवित्रता में ईश्वर का वासकहते हैं कि पवित्रता में ईश्वर का वास होता है. जिसके लिए साफ-सफाई, स्वच्छता का होना आवश्यक है. स्वच्छता में दशहरा उमंग का आनंद और बढ़ सकता है. पवित्रता में मां दुर्गा की पूजा आस्था साधना भक्ति का फलाफल अधिक सार्थक हो सकता है. अच्छे वातावरण में स्वस्थ शरीर मन का निवास होता है. दूषित विचारों का परित्याग होता है. ऐसे में दशहरा महापर्व के उत्सव में स्वच्छता को अपना कर उमंगों, आस्थाओं को कई गुणा बढ़ा सकते हैं.