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व्यवस्था पर तमाचा जड़ रहे बाल श्रमिक

कटिहार: आज शुक्रवार यानी 12 जून को विश्व बालश्रम निषेध दिवस है. बिहार में इस दिवस को बालश्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को लेकर प्रभात खबर ने गुरुवार को विभिन्न स्तर पर पड़ताल की है. पड़ताल के दौरान यह बात उभर कर सामने आयी कि राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति […]

कटिहार: आज शुक्रवार यानी 12 जून को विश्व बालश्रम निषेध दिवस है. बिहार में इस दिवस को बालश्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को लेकर प्रभात खबर ने गुरुवार को विभिन्न स्तर पर पड़ताल की है. पड़ताल के दौरान यह बात उभर कर सामने आयी कि राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति के अभाव की वजह से बच्चे आज भी स्कूल की बजाय होटल, गैरेज, ईंट-भट्ठा सहित विभिन्न जगहों पर मजदूरी करने को विवश हैं.

श्रम व रोजगार मंत्रलय भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना समिति, कटिहार के ताजा रिपोर्ट के अनुसार कटिहार जिले में अब भी 23 हजार से अधिक बाल मजदूर हैं. एनसीएलपी द्वारा तीन माह पूर्व जिले के सभी 16 प्रखंडों में सर्वेक्षण करा कर बाल श्रमिक चिह्नित किया है.

राजनीतिक प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी . बालश्रम उन्मूलन को लेकर कटिहार जिले में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलायी गयी. श्रम एवं रोजगार मंत्रलय भारत सरकार की इकाई राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना समिति द्वारा इस जिले में वर्ष 2007 से 100 बाल श्रमिक विशेष विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन द्वारा कटिहार जिले को बालश्रम मुक्त जिला बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम किया. करीब एक-डेढ़ साल काम करने के बाद आइएलओ का प्रोजेक्ट बंद हो गया. इसके अतिरिक्त विभिन्न कल्याणकारी योजना से बाल श्रमिक परिवार को लाभान्वित करने का प्रावधान है. लेकिन राजनीतिक व प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी की वजह से बच्चे आज भी काम करने को अभिशप्त हैं.

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