मालूम हो कि उक्त अस्पताल का निर्माण वर्ष 2003 में 35 लाख की लागत से कराया गया था. जो सरकार की उदासीनता व प्रशासन क्षीण इच्छा शक्ति कम के कारण 10 वर्षो तक अस्पताल बंद रहा. स्थानीय संवाददाता द्वारा 14 मार्च 2014 को (शीर्षक) काहे का अस्पताल जब इलाज नहीं होता को प्रभात खबर में प्रमुखता से प्रकाशित किये जाने पर आनन-फानन में समस्तीपुर रेल अस्पताल से आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ उपेंद्र शर्मा को दस वर्षो से बंद पड़े अस्पताल को खोलने का आदेश दिया गया. राज्य स्तरीय विभाग द्वारा खबर प्रकाशित होने पर चिकित्सकों ने मिले निर्देश पर ग्रामीणों के लिए अस्पताल को खोल दिया परंतु चिकित्सक व अन्य कर्मचारियों की कमी के कारण श्री शर्मा ही अस्पताल का संचालन करते हैं.
शनिवार को श्री शर्मा ने राज्य स्तरीय आयुर्वेदिक मीटिंग में (पटना) गये दूरभाष पर बताया गया उनके द्वारा कि आयुर्विज्ञान के वरीय पदाधिकारियों को आजमनगर राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल की अव्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी दिया गया. उम्मीद है कि नयी सरकार निर्माण होने से वर्षो पुराने राजकीय अस्पताल का भी सर्वागीण विकास संभव हो पायेगा, जिसका लाभ आजमनगर के पांच पंचायतों को सीधे तौर पर मिलेगा. ज्ञातव्य हो कि अस्पताल बंदी पर आज से एक वर्ष पूर्व ग्रामीणों ने विरोध जताया था.