* कैसे होगी शहर वासियों की सुरक्षा, थाना परिसर में छाया रहा अंधेरा
।। राज किशोर ।।
कटिहार : जिले के सबसे महत्वपूर्ण थाना में शुमार नगर थाना की स्थिति इन दिनों बद से बदतर है. जिसके कारण पुलिस पदाधिकारियों व जवानों को तो परेशानी उठानी पड़ती ही है. ऊपर से वहां शिकायत दर्ज कराने या किसी अन्य कार्यो से आने वाले लोगों को भी भारी परेशानी उठानी पड़ रही है.
प्रभात खबर ने शहर के सबसे महत्वपूर्ण थाना का जायजा मंगलवार की रात 10.45 बजे लिया. जिसमें पाया गया कि थाना की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे हैं. थाना परिसर पूरी तरह से अंधेरे में डूबा हुआ था. एक भी जवान सुरक्षा के दृष्टिकोण से मुख्य द्वार पर ड्यूटी पर तैनात नहीं थे.
थाना की हालत देखने से लगा मानो अभी कोई बड़ी वारदात कहीं हो जाय तो पदाधिकारियों को वरदी पहनने से लेकर तैयार होकर निकलने में आधा घंटा से अधिक का वक्त लग जायेंगे और अपराधी आराम से घटना को अंजाम देकर फरार हो जायेंगे. यहीं नहीं थाना पर ही कोई हमला कर दे तो पुलिस को संभलने का मौका भी नहीं मिलेगा. ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर थाना अपनी सुरक्षा व्यवस्था में जब इतनी ढिलायी बरत रहा हैं तो आमलोगों की सुरक्षा के प्रति कितनी जबावदेही से काम कर रही होगी.
प्रभात खबर की टीम मंगलवार की रात 10.45 बजे नगर थाना में प्रवेश करती है. मुख्य द्वार पर कोई भी जवान ड्यूटी पर नहीं थे. हमलोग आराम से अंदर चले गये. थाना के अंदर पूरा परिसर अंधेरे में डूबा हुआ था. थाना के कमरे में सौर ऊर्जा की लाइट में एक व्यक्ति टेबल पर आवेदन लिख रहा था और कुछ लोग वहां खड़े थे. पूछने पर पता चला कि न्यू मार्केट में मोटरसाइकिल चोरी होने पर शिकायत लिख रहे हैं. वहां न तो थाना के मुंशी थे, नहीं पदाधिकारी. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि कैसे इतने सारे व्यक्ति एक साथ थाना में बैठकर आराम से अपनी शिकायतों को लिख रहे थे. इसके बाद जब टीम आगे बढ़ी तो पाया कि कुछ जवान थाना के बरामदे पर बिछावन व मच्छरदानी लगाकर सोये हुए हैं.
दरअसल जवानों के लिए थाना परिसर में रहने की उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण बरामदे में जवान सोने को विवश होते हैं. ओडी प्रभारी के चार्ज में उस समय कोई नहीं थे. कुरसी खाली पड़ी थी. थाना अध्यक्ष का भी चैंबर बंद पड़ा हुआ था. पूछने पर पता चला कि वह छुट्टी पर गये हुए हैं. इसके बाद टीम थाना के हाजत में पहुंची जहां घोर अंधेरा था. उसमें एक अभियुक्त को बंद कर रखा गया था. लेकिन वहां सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक भी जवान ड्यूटी पर उपस्थित नहीं थे.
कैदी अंधेरे में मच्छर के बीच रात कटने का इंतजार कर रहा था. इसके ठीक निकट पुलिस निरीक्षक के कार्यालय में ताला लटका हुआ था. इनके सभी मुंशी व जवान कहां थे. यह बताने वाला कोई नहीं था. जबकि इंस्पेक्टर गरमी से बचने के लिए परिसर में चहल कदमी कर रहे थे.
इधर वर्ष 2004 में सांसद निधि से थाना परिसर में लाखों की लागत से बनाये गये सामुदायिक भवन में क्र्वाटर के अभाव में जवान क्र्वाटर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. एक बड़े से हॉलनुमा कमरे में कई जवानों ने चौकी लगा रखी थी. जिसमें कई जवान अंधेरा व गरमी के बीच हाथ से पंखा झेल कर गरमी से राहत पाकर सोने की कोशिश कर रहे थे. एक ही कमरे में कई जवान साथ रहते हैं और भोजन भी वहीं बनाते हैं. ऐसे में जवानों को किन परेशानियों से गुजरना पड़ता होगा सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जायजा लेने के क्रम में एक मात्र जवान अपनी वरदी व आर्म्स के साथ ड्यूटी करते देखे गये. बाकी के पदाधिकारी, मुंशी व जवान लुंगी व तौलिया में टहलते नजर आये.