शारदीय नवरात्र का प्रारंभ आश्विन मास की प्रतिपदा पक्ष शुक्ल से होगा. 25 सितंबर दिन गुरुवार को नवरात्र प्रारंभ हो जायेगा. महर्षि वेदव्यास रचित मार्कण्डेय पुराण में 360 शक्तियों का वर्णन है. इसे दुर्गासप्तशती कहते हैं. रोली, चावल, मौली, केसर, सुपारी, लौंग, इलाइची, जाै, गेहूं, पुष्प, सिंदूर, पान, दूध, दही, घी, शहद, गंगा जल, बिल्व पत्र, वस्त्र, आभूषण, सिंगार सामग्री, यज्ञो पवित, मिट्टी का कलश, दूर्वा, इत्र, फल-धूप, दीप, नैवेद, हल्दी, अबीर, गुलाल, थल, कटोरी, नारियल, दीपक ताम्र पात्र, चौकी एवं लाल वस्त्र लेकर सर्वप्रथम अष्टकमल दल बनाकर मध्य भाग में मां दुर्गा की तसवीर या प्रतिमा की शात्रोक्त विधि से विधिवत स्थापना कर गुरुवार से पूजा अर्चना की जायेगी. दुर्गासप्तशती के तीन चरित्रों में महाकाली को अगिA तत्व है. दूसरा महालक्ष्मी मायाबीज वायु तत्व है.
तीसरा मां सरस्वती सूर्य तत्व है. दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय का पाठ सभी प्रकार की चिंता दूर करती है. विद्वान सुभाष झा के अनुसार दूसरा एवं तीसरा अध्याय शत्रुओं पर विजय दिलाती है. चतुर्थ एवं पंचम अध्याय भक्ति एवं शक्ति देता है तो छठा अध्याय जातक का शोक, दुख, डर एवं शक का निवारण करता है. सप्तम अध्याय मनोकामना पूर्ति, अष्टम मित्रता एवं नवम-दशम भाव-संतान प्राप्त कराता है. एकादश अध्याय साधक को भौतिक सुख-सुविधा एवं व्यापार में उन्नति कराता है तो द्वादश भाव मान-सम्मान दिलाता है. वहीं अंतिम अध्याय साधक के लिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है.
वेद के जानकार विकास चंद्र झा के अनुसार 25 को कलश स्थापन, 30 को षष्ठी (भगवती का आह्वान), एक अक्तूबर को सप्तमी (निशा पूजा), महानवमी एवं महादशमी 02 अक्तूबर व तीन अक्तूबर विसजर्न (कुंवारी पूजन), आचार्य रघुवर दयाल शास्त्री के अनुसार कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त सुबह से दोपहर 12:30 बजे तक है. वयोवृद्ध आचार्य बतलाते हैं कि इस बार मां दुर्गा डोला पर आ रही है और हाथी पर जायेगी. डोला पर आना ठीक नहीं परंतु हाथी पर जाना सुख-समृद्धि के संकेत हैं.