ये चिकित्सक पशुओं के इलाज के बदले पशु पालक से मनमानी पैसे लेते हैं. रोग पकड़ में नहीं आने व दवा की डोज ओवर होने से मवेशियों की मौत भी हो जाती है.
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मोहनिया का पशु अस्पताल बदहाल
मोहनिया (सदर): प्रखंड का एक मात्र पशु चिकित्सालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. कभी प्रखंड के पशु पालकों के लिए वरदान साबित होनेवाला यह चिकित्सा केंद्र आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है. अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी के कारण यहां के पशुपालकों को बाहरी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ […]
मोहनिया (सदर): प्रखंड का एक मात्र पशु चिकित्सालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. कभी प्रखंड के पशु पालकों के लिए वरदान साबित होनेवाला यह चिकित्सा केंद्र आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है. अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी के कारण यहां के पशुपालकों को बाहरी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है.
ऐसे में जो गरीब पशु पालक बैंक से कर्ज लेकर पशु खरीदते हैं उनकी तो कमर ही टूट जाती है. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों को जीविका के लिए समय-समय पर तरह-तरह की योजनाएं चला पशु पालन के लिए राशि भी उपलब्ध कराती है. इतना ही नहीं लागत मूल्य का चार प्रतिशत जमा कर पशु पालक अपने मवेशियों का बीमा भी करा सकते हैं. हालांकि प्रचार प्रसार की कमी एवं बैंकों की शिथिल रवैया के कारण सभी पशु पालकों को इन योजनाओं का लाभ मिलना दूर की कौड़ी नजर आती है.
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