भभुआ (नगर) : जिला मुख्यालय से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर अधौरा प्रखंड स्थित कैमूर की वादियों में बसा तेल्हाड़ कुंड प्रकृति की अनोखी छटा बिखेरता है. कहते हैं कि तेल्हाड़ कुंड पहुंचने के बाद यहां आये लोगों की प्रकृति की एक सुखद अनुभूति होती है.
यह सोलह आने सच है. गरमी हो बरसात तेल्हाड़ कुंड की छटा देखते ही बनती है. पर्यटकों की माने, तो बरसात के दिनों में चारों ओर से पहाड़ों से घिरे तेल्हाड़ कुड में हर दिन बिहार व उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावे अन्य प्रांतों के पर्यटक आते हैं.
प्रकृति की गोद में बसा है तेल्हाड़
अधौरा प्रखंड में स्थित तेल्हाड़ कुंड से बेहतर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं हो सकता. बारिश के दिनों में जिले के हर व्यक्ति की तमन्ना होती है कि तेल्हाड़ कुंड के दृश्य को अपने नजरों में कैद करें. लोग वहां जाकर बिना किसी सुविधा के भी खाने बनाने से लेकर झुंड में स्नान करने तक का आनंद लेते हैं.
पहचान का अभाव
तेल्हाड़ कुंड देश के जाने माने पर्यटक स्थलों से कम नहीं है, लेकिन पर्यटन विभाग की उदासीनता कहे या फिर सेंचुरियन क्षेत्र होने की बाधा सुविधा के नाम पर इस जगह पर एक कप चाय भी मिलना मुश्किल है.
गृह जिले के लोग संसाधन के अभाव में भी प्राकृतिक के इस देन का खूब आनंद उठाते हैं, लेकिन प्रचार–प्रसार का अभाव कहे या फिर पर्यटन विभाग की उदासीनता जिले से बाहर के लोग शायद यह भी नहीं जानते कि तेल्हाड़ कुंड शिमला व मसूरी का नजारा पेश कर रहा है.
रेड कॉरीडोर में रूप में है पहचान
कैमूर पहाड़ी पर मां मुंडेश्वरी का मंदिर, तेल्हाड़ कुंड, गुप्ता धाम, माझर कुंड पर्यटक स्थल से लेकर धार्मिक स्थल तक मौजूद है. इससे लोगों का प्रेम देखते ही बनता है, लेकिन इस पहाड़ी पर छाया लाल साया इन स्थलों के विकास में सबसे बड़ी बाधक है.