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‘चटकारा’ की इमिरती का स्वाद लाजवाब

भभुआ (ग्रामीण) : वैसे से तो इस शहर में लजीज व्यंजनों का स्वाद लेनेवालों की कमी नहीं है. इसके बावजूद भभुआ स्थित ‘चटकारा’ की इमिरती की अपनी पहचान है या यूं कहें कि अपने-आप में चटकारा की इमिरती का कोई जवाब नहीं है. इमिरती की डिमांड सालों भर रहती है. गरमी के दिनों में नींबू […]

भभुआ (ग्रामीण) : वैसे से तो इस शहर में लजीज व्यंजनों का स्वाद लेनेवालों की कमी नहीं है. इसके बावजूद भभुआ स्थित ‘चटकारा’ की इमिरती की अपनी पहचान है या यूं कहें कि अपने-आप में चटकारा की इमिरती का कोई जवाब नहीं है.

इमिरती की डिमांड सालों भर रहती है. गरमी के दिनों में नींबू का शरबत, आम का पन्ना या बादाम शेक लोगों की पहली पसंद होती है. लेकिन, शाम में ‘चटकारा’ की दुकान पर लोगों भीड़ अवश्य जुटती है. चटकारा दुकान के मालिक जगदीश प्रसाद आर्य ने बताया कि इमिरती का व्यवसाय 1980 से पहले से ही हमारे पूर्वजों द्वारा किया जा रहा है. पहली दुकान स्थानीय धर्मशाला के पास थी, लेकिन 2005 से पोस्ट ऑफिस के पास चल रही है

खास है इमृति

उड़द के दाल की धोई से तैयार इमिरती का स्वाद बच्चे, युवा तथा बुजुर्ग के जवान पर चढ़ा हुआ है. शाम के समय दुकान पर ग्राहकों की तैयार लगी रहती है. शाम में पांच बजे से रात नौ बजे तक इमिरती का स्वाद चखते देखे जा सकते हैं.
शादी-विवाह में डिमांड अधिक
दुकान के अलावा शादी-विवाह या अन्य समारोहों में भी इसकी डिमांड अच्छी रहती है. 100 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाली इमिरती की बिक्री जाड़े के मौसम में अच्छी होती है. गरमी में भी रोज 12-15 किलो तक बिक्री हो ही जाती है.

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