देवी के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा हुईअरवल(ग्रामीण). देवी के सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा -अर्चना पूरे विधि -विधान से उत्सवी माहौल में की गयी. शहर हो या ग्रामीण सभी जगहों पर स्थापित कलश के समीप वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां कालरात्रि की पूजा -अर्चना अहले सुबह से देर रात तक होती रही. श्रद्धालू भक्तों द्वारा मां कालरात्रि की पूजा वैदिक रीति- रिवाज के तहत सुखमय जीवन जीने के लिए किया गया. धर्मग्रंथों के अनुसार मां का सातवें स्वरूप की पूजा देवताओं ने भी किया था. तब मां ने प्रसन्न होकर आसूरी शक्तियों का सर्वनाश करने के लिए इस रूप को धारण किया. तब से मां काल रात्रि की पूजा सुख समुद्धि व शांति की कामना के लिए किया जाने लगा.
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देवी के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा हुई
देवी के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा हुईअरवल(ग्रामीण). देवी के सप्तम स्वरूप कालरात्रि की पूजा -अर्चना पूरे विधि -विधान से उत्सवी माहौल में की गयी. शहर हो या ग्रामीण सभी जगहों पर स्थापित कलश के समीप वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां कालरात्रि की पूजा -अर्चना अहले सुबह से देर रात तक होती रही. श्रद्धालू भक्तों […]
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