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हड़ताल पर गये जिले के अधिवक्ता

जहानाबाद (कोर्ट) : नया भवन में न्यायालय के शिफ्ट होते ही अधिवक्ताओं के समक्ष उठने–बैठने का नया बखेरा खड़ा हो गया. हालांकि जिला विधिज्ञ संघ को न्यायालय प्रशासन ने महीनों पूर्व ही भवन बनाने के लिए जमीन मुहैया करा दी गयी थी. बावजूद इनके द्वारा भवन का निर्माण अब तक नहीं कराया गया. भवन शिफ्ट […]

जहानाबाद (कोर्ट) : नया भवन में न्यायालय के शिफ्ट होते ही अधिवक्ताओं के समक्ष उठनेबैठने का नया बखेरा खड़ा हो गया. हालांकि जिला विधिज्ञ संघ को न्यायालय प्रशासन ने महीनों पूर्व ही भवन बनाने के लिए जमीन मुहैया करा दी गयी थी. बावजूद इनके द्वारा भवन का निर्माण अब तक नहीं कराया गया.

भवन शिफ्ट होने के बाद अधिवक्ताओं ने खुले आसमान के नीचे मंगलवार को अपना आशियाना बनाने के लिए जहांतहां तंबू गाड़ने लगे, जिस पर न्यायालय प्रशासन ने आपत्ति जताते हुए उन्हें अन्यत्र तंबू गाड़ने से मना कर दिया. फिर क्या था देखतेहीदेखते जिले के साढ़े तीन सौ से अधिक अधिवक्ताओं ने न्यायालय प्रशासन की कार्यशैली से क्षुब्ध होकर नारेबाजी शुरू कर दी.

साथ ही न्यायिक कार्यो का बहिष्कार करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये. अधिवक्ताओं ने कहा कि भीषण धूप में हमें अगर तंबू गाड़ कर उठनेबैठने की इजाजत नहीं दी गयी, तब तक हमारा हड़ताल जारी रहेगा. अधिवक्ताओं ने जिला न्यायालय समेत अन्य न्यायालयों में भी काम नहीं करने का मन बना लिया है.

* स्टेट बार एसोसिएशन को भेजा पत्र

जिला जज अजय कुमार श्रीवास्तव ने स्टेट बार एसोसिएशन को पत्र लिख कर कहा है कि जिले के अधिवक्ताओं ने बगैर किसी सूचना के न्यायिक कार्य में अवरोध पैदा किया है, जो कहीं से न्याय संगत नहीं है. इसके बाद संध्या समय पत्र भेज कर जिला बार एसोसिएशन को अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित भी किया था. मगर बार एसोसिएशन ने बहिष्कार कर दिया.

नये न्यायालय भवन के उद्घाटन के पूर्व वकीलों का एक प्रतिनिधि मंडल जिला जज से मिल कर अस्थायी तौर पर उठनेबैठने के लिए भवन की मांग की थी. इस पर जिला जज ने समस्याओं को देखते हुए मानवीय हित में कुछ दिनों के लिए परिसर स्थित साक्षी भवन में उठनेबैठने की इजाजत दे दी थी.

मगर उद्घाटन के पूर्व ही कुछ लिपिको द्वारा साक्षी भवन की दीवारों पर अपना नाम अंकित कर दिया गया. जिसे देख कर जिला जज भड़क उठे और अधिवक्ताओं को साक्षी भवन में अस्थायी तौर पर भी उठनेबैठने की इजाजत नहीं दी. गत तीन अगस्त को नये न्यायालय भवन का उद्घाटन काफी धूमधाम से हुआ. फिलहाल आवंटित जमीन पर विधिक संघ भवन के निर्माण के लिए मिट्टी भराई का काम चलने के कारण वकील उक्त जमीन से सटे खाली पड़ी जमीन में तंबू लगा कर बैठने की व्यवस्था में जुट गये.

भीषण गरमी और चिलचिलाती धूप में वकील अपने मुंशी के साथ अस्थायी आशियाना बनाने में लगे हुए थे. मंगलवार को वकील अपने तंबुनुमा अस्थायी चैंबर में बैठ कर न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहे थे. तभी प्रभारी न्यायाधीश अपने बॉडीगार्ड के साथ वहां पहुंचे और वकीलों से अपना तंबू हटाने को कहा. बस क्या था वकीलों ने न्यायालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी तथा सैकड़ों की संख्या में वकील इकट्ठा होकर नारेबाजी शुरू कर दी और न्यायिक कार्यो का बहिष्कार कर दिया गया.

वकीलों का कहना था कि उद्घाटन के समय घोषणा की गयी थी कि मुवक्किलों की सुविधा का पूर्ण ख्याल रखा गया है लेकिन सुविधा के नाम पर न्यायालय परिसर में एक भी चापाकल की व्यवस्था नहीं की गयी. यहां तक कि महिलाओं के लिए परिसर में कहीं शौचालय की भी नहीं व्यवस्था की गयी है. मुवक्किल वकील के माध्यम से ही न्यायालय से जुड़े होते हैं और इन सब व्यवस्थाओं का नहीं होना भी वकील समुदाय को पीड़ित कर रहा था. वकीलों ने बताया कि नये न्यायालय भवन में धूप से बचाव एवं पेयजल की सुविधा के अभाव में कई वकील बीमार पड़ गये हैं.

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