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बीमारियां फैला रही सब्जी मंडी!

अव्यवस्था : सड़ांध व बदबू से परेशान हैं लोग, सुविधाओं का है घोर अभाव शहर की यह सब्जी मंडी सदियों पुरानी है. यह थोक मंडी है इसलिए यहां सब्जियां भी सस्ती मिलती है. इस कारण ग्राहक भी सब्जियां अन्यत्र खरीदने की बजाय इस मंडी से खरीदना पसंद करते हैं, लेकिन मंडी की हालत ऐसी है […]

अव्यवस्था : सड़ांध व बदबू से परेशान हैं लोग, सुविधाओं का है घोर अभाव
शहर की यह सब्जी मंडी सदियों पुरानी है. यह थोक मंडी है इसलिए यहां सब्जियां भी सस्ती मिलती है. इस कारण ग्राहक भी सब्जियां अन्यत्र खरीदने की बजाय इस मंडी से खरीदना पसंद करते हैं, लेकिन मंडी की हालत ऐसी है कि यहां से गुजरना भी काफी कष्टप्रद है.
अव्यवस्थित दुकानों की वजह से रास्ता भी संकरी है, उस पर हमेशा कीचड़ से सना रहता है. विक्रेता भी सड़ी-गली सब्जियां कीचड़युक्त रास्ता पर ही डाल देते हैं, जिससे सड़ांध व बदबू निकलते रहती है. ग्राहकों को नाक पर रूमाल रख कर आना-जाना पड़ता है. नगर पर्षद द्वारा राजस्व की वसूली भी की जाती है, पर सफाई की कोई व्यवस्थानहीं है.
दिन में भी मच्छरों का आतंक बना रहता है. आसपास रहनेवाले लोगों में हमेशा बीमारियों की आशंका बनी रहती है. जिला प्रशासन भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है.
जहानाबाद : सदियों पुरानी शहर की सब्जी मंडी खस्ताहाल में है. हर तरफ कादो-कीचड़ और दरुगध ही इसकी पहचान बन चुकी है. ऐसे में यहां रोजाना आनेवाले हजारों खरीदारों का हाल बुरा है. दुकानदार भी न्यूनतम सुविधाएं नहीं मिलने का दंश ङोल रहे हैं. तमाम दुकानें अस्त-व्यस्त हैं. नगर पर्षद को मासिक किराया भुगतान करने के बाद भी यह मंडी जीर्णोद्धार और उन्नयन कार्यो की बाट जोह रहा है. सड़ी-गली सब्जियों की सड़ांध से पहचानी जानेवाली शहर की सब्जी मंडी की ताजा-सूरत-ए- हाल नियामक इकाई को मुंह चिढ़ा रहा है.
वर्तमान में यहां करीब 100 दुकानें लगती हैं, जिसके एवज में नगर पर्षद प्रति दुकानदार 100 से 300 रुपये (स्क्वायर फुट के हिसाब से) महीने का किराया वसूलता है. पूर्व में ठेकेदार के जरिये और फिर पर्षद के द्वारा किराया लेने के बाद भी अब तक इस बड़े हाट में कोई विकास कार्य नहीं हो सका है. पर्षद की माने तो मंडी का स्वरूप बदलने को लेकर खाका कई बार तैयार हुआ, लेकिन अमल में नहीं लाया जा सका. अब भी पुराने र्ढे पर बनी गट्टियां (बोरी-कनात से घिरी) ही पर्षद को आमदनी उपलब्ध कराती है.
मार्केट कॉम्प्लेक्स बना सपना : नीचे दुकान और ऊपर मकान की तर्ज पर करीब चार साल पहले हाट की जगह पर मार्केट कॉम्प्लेक्स बनाने का सपना अब तक अधूरा है. न यहां पक्की दुकानें बनीं और न ही मैरिज हॉल. कागज पर बनी प्लानिंग के सच होने का शहरवासियों को शिद्दत से इंतजार है. योजना बनाते समय कहा गया था कि पुरानी कच्ची दुकानों को तोड़ कर यहां चकाचक कॉम्प्लेक्स बना कर आवंटियों को फिर से बसाया जायेगा, लेकिन इच्छाशक्ति की कमी और फंड का हवाला देकर योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. करीब पंद्रह साल पहले तत्कालीन मंत्री मुंद्रिका प्रसाद यादव ने इसका शिलान्यास किया था.
फुटपाथी दुकानदारों के लिए वेंडिंग जोन : स्टेशन एरिया, मलहचक मोड़, अरवल मोड़, अस्पताल मोड़ और कोर्ट एरिया समेत कुल पांच वेंडिंग जोन फिलहाल शहर के फुटपाथी दुकानदारों के लिए चिह्न्ति किये गये हैं, लेकिन सब्जी मंडी की पुरानी बसावट पर नगर पर्षद का बिल्कुल ध्यान नहीं है.
यहां भी बाहर की ओर फुटपाथ पर दुकानें लगाने वालों से थोक में गंदगी फैलती है. ग्राहकों की लगातार कम होती संख्या के बारे में स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि साफ-सफाई नहीं रहने से उनका धंधा बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

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