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शोपीस बन कर रह गया मुक्तिधाम

जहानाबाद : शहर की दरधा नदी में बना श्मशान फिलहाल सूना-सूना दिखता है. सुविधाएं तो सब कुछ हैं मगर यहां लाश जलानेवाले लोग पहुंचते ही नहीं. करीब 44 लाख की लागत से बना यह मुक्तिधाम वर्ष 2010 में बन कर तैयार हुआ था. एक कैंपस के तले हर सुविधा दी गयी थी. लाश जलाने के […]

जहानाबाद : शहर की दरधा नदी में बना श्मशान फिलहाल सूना-सूना दिखता है. सुविधाएं तो सब कुछ हैं मगर यहां लाश जलानेवाले लोग पहुंचते ही नहीं. करीब 44 लाख की लागत से बना यह मुक्तिधाम वर्ष 2010 में बन कर तैयार हुआ था. एक कैंपस के तले हर सुविधा दी गयी थी. लाश जलाने के लिए शेड, लाशों के साथ पहुंचनेवाले लोगों के उठने-बैठने के लिए पड़ाव, दो दुकानें, शौचालय, चापाकल से लेकर सोलर प्लेट, लाइटिंग सरीखे अन्य सभी व्यवस्थाएं इस मुक्तिधाम में सरकार ने मुहैया करा रखी है.
हालांकि संपर्क पथ का अब भी अभाव है, जिसकी वजह से गाड़ियां श्मशान घाट तक नहीं पहुंच पाती. हालात तो तब और भी बद-से-बदतर हो जाती है जब बारिश हो जाती है. लोगों का पैदल जाना भी दुश्वार हो जाता है.
2011 में मंत्री अश्विनी चौबे ने किया था उद्घाटन
कभी बड़े ताम-झाम से तैयार किये गये इस मुक्तिधाम का उद्घाटन तत्कालीन मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के हाथों वर्ष 2011 में किया गया था. उस वक्त मुक्तिधाम का नजारा देखते ही बनता था. करीब सवा आठ लाख की लागत से इसके कैंपस में सौर ऊर्जा से चलनेवाले स्वचालित समरसेबल पंप लगे, जो कि जिले का सबसे पहला सौर ऊर्जा से चलनेवाला पंप था. इसके बावजूद यहां लाश नहीं जलाये जा रहे हैं. आज मुक्तिधाम का ये कैंपस जंगल-झाड़ियों के बीच छुपा-छुपा दिखने लगा है. कैं पस के क ोने-कोने में लगी आठ सोलर लाइटें भी कहां खो गयीं शायद इसका जवाब किसी के पास नहीं है. हालांकि इस श्मशान घाट के पास बने गौरी घाट में लोग लाश को जलाना तो पसंद करते मगर यहां आने से भी कतराते हैं.
वजह साफ है कि देख-रेख के अभाव में यह कैंपस आज बदहाल है. श्मशान कैंपस में ताला लगा है और उसकी चाबी किसके पास है इसकी जानकारी किसी को नहीं. हालांकि संवेदक की मानें तो श्मशान की चाबी नगर पर्षद को सुपुर्द कर दी गयी थी. यहां लोगों के बैठने के लिए बने पड़ाव का उपयोग आज नशेड़ी कर रहे हैं. अब तो न ही श्मशान में समरसेबल पंप है और न सोलर प्लेट्स. सिर्फ बच गया है तो वो है श्मशान घाट का अवशेष.
जिसे यहां के लोग एक यादों के तौर पर देखा करते हैं.
वर्ष 2011 में नगर पर्षद को मुक्तिधाम सुपुर्द किया गया था मगर इसकी देख-रेख की जिम्मेवारी अब तक किसी कर्मी ने नहीं ली. हालात यह है कि वहां लगे समरसेबल पंप और सोलर लाइट गायब हो गयी.
कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पर्षद, जहानाबाद

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