भारत में फुटबॉल को बढ़ावा देने की आवश्यकता: प्रो गौरी शंकर

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल दिवस के अवसर पर भारत में फुटबॉल की दशा और दिशा विषय हुई परिचर्चा

By Prabhat Khabar Print | May 25, 2024 9:45 PM

जमुई. अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल दिवस के अवसर पर शनिवार को भारत में फुटबॉल की दशा और दिशा विषय पर प्रो गौरी शंकर पासवान की अध्यक्षता में परिचर्चा की गयी. इस दौरान उपस्थित प्रबुद्ध जनों से अपनी-अपनी बात रखी. मौके पर प्रो जीएस पासवान ने कहा कि खेल मानव जाति की स्वाभाविक प्रवृत्ति और रचनात्मक वृति है. फुटबॉल लोकप्रिय खेल है जो स्वाभाविकता, स्वतंत्रता और आनंद तीनों गुणों से ओतप्रोत है. देश में पहले की अपेक्षा वर्तमान में फुटबॉल की लोकप्रियता में कमी आयी है. भारत में क्रिकेट की भांति फुटबॉल का क्रेज बढ़ाना वर्तमान की मांग है. स्वतंत्रता के कुछ दशक पूर्व और कुछ दशक बाद तक अपने देश में फुटबॉल की लोकप्रियता बहुत थी, पर आज फुटबॉल खेल की दशा उतनी बेहतर नहीं है. तभी तो भारत फीफा विश्वकप में कभी नहीं खेल पाया. फुटबॉल की लोकप्रियता में कमी आने का मुख्य कारण खिलाड़ियों में रुचि की कमी, बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों का अभाव, फुटबॉल मैदान का अभाव और फुटबॉल कोच की कमी रहा है. उन्होंने कहा कि भारत में फुटबॉल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. केंद्र और राज्य सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा तभी भारत अपनी फुटबॉल की पुरातन साख को कायम रख पायेगा. वरिष्ठ शिक्षक दिनेश मंडल ने कहा कि फुटबॉल भारत में भी प्रसिद्ध खेल रहा है. पहले स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में फुटबॉल खेल प्रतियोगिता हुआ करती थी. वर्तमान में इसकी स्थिति खराब है. सरकार को फुटबॉल के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. फीफा वर्ल्ड कप 2026 खेलने के लिए भारत के पास एक अच्छा अवसर है. फीफा वर्ल्ड कप प्रत्येक चार वर्ष पर आयोजित होता है. अधिवक्ता प्रभात कुमार भगत ने कहा कि फुटबॉल के क्षेत्र में भारत के विश्व कप के लिए क्वालीफाइ नहीं करने से फुटबॉल खिलाड़ियों का मनोबल गिरा है. छात्रों और युवाओं में फुटबॉल के प्रति रुचि जगाने की जरूरत है. जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल संघों को फुटबॉल खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की सख्त आवश्यकता है. डॉ प्रो निरंजन कुमार दुबे ने कहा कि फुटबॉल खेल भारत में एक रोचक खेल रहा है. पहले देश के छात्रों में फुटबॉल खेलने के प्रति काफी दीवानगी होती थी. आज भारत में फुटबॉल खेल की स्थिति ज्यादा सुकून देने वाली नहीं है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्रिकेट खिलाड़ियों की तरह फुटबॉल खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने की पहल करनी चाहिए, तभी फुटबॉल की लोकप्रियता में वृद्धि हो सकती है. अधिवक्ता रामचंद्र रवि ने कहा कि भारत में फुटबॉल के जनक नागेंद्र प्रसाद सर्वाधिकारी थे, जबकि लोकप्रिय फुटबॉल खिलाड़ी सुनील छेत्री हैं. वे कहते हैं कि जब मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच भारतीय फुटबॉल का सबसे बड़ा मैच (बोरो मैच) शुरू होता था, तो बंगाल ठहर-सा जाता था. भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम फीफा रैंकिंग में अभी 99 वें स्थान पर है. मतलब फुटबॉल में भारत विश्व के दूसरे देशों से अभी बहुत पीछे है. वहीं इसे लेकर प्रो देवेंद्र कुमार गोयल, शिक्षक मंटू पासवान, प्रो संजीव कुमार सिंह, प्रो आनंद कुमार सिंह ने कहा कि फुटबॉल एक प्रसिद्ध और रुचिकर खेल है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसी माह में प्रत्येक वर्ष 25 मई को विश्व फुटबॉल दिवस बनाने का निर्णय लिया है. इसका मुख्य उद्देश्य फुटबॉल के प्रति लोगों में जागरूकता लाना और इस खेल को बढ़ावा देना है. भारत में फुटबॉल की स्थिति अभी अच्छी नहीं है. इसलिए फुटबॉल के प्रति सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है.

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