जमुइ जिला अंतर्गत चकाई प्रखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शुमार बोंगी बरमोरिया पंचायत में सड़कों और पुलों के जाल से गांवों की तस्वीर बदलती नजर आ रही है. अब हर लोग शिक्षा के लिए लालायित नहीं है. जो छात्र मेधावी हैं वह आसानी से चकाई के प्रतिष्ठित कॉलेजों में अपनी पढ़ाई के लिये आ रहे हैं एवं शिक्षण संस्थानों में आकर अपने आपको लोहा मनवाने का प्रयास कर रहे हैं. ये आनेवाले समय में गांव को विकसित करने के लिए सहयोग करेगी.
आज से कुछ वर्ष पूर्व का हाल...
आज से कुछ वर्ष पूर्व बोंगी, बरमोरिया के कई गांवों में ना तो बिजली थी, ना सड़क, ना पुल-पुलिया और ना ही चकाई से आवागमन के लिए सही कोई रास्ता था. जब भी बोंगी बरमोरिया के लोगों को किसी प्रकार की जरूरतों की आवश्यकता होती थी तो उन्हें आने में चार से पांच घंटे या उससे अधिक की समय लग जाता था लेकिन सड़क और पुल-पुलियों के निर्माण से आवागमन काफी सरल हो गया है.
अब पांच घंटे की दूरी महज में 30 से 35 मिनट तय कर लेते हैं जिससे आए दिन लोग आसानी से बोगी बरमोरिया के युवा छात्र-छात्रा चकाई आते हैं पढ़ाई एवं आत्मनिर्भर हेतु स्वरोजगार को करते हैं. राज्य सरकार द्वारा मड़वा नदी पर बने पुल ने कई लोगों के सपनों को साकार कर दी है अब लोग अपने सपनों को पूरा करने में लगे हैं क्योंकि पुल बनने से लोगों को अपने कार्य संपन्न करने में आसानी हो रही है.
दुर्गम क्षेत्र होने के कारण घटना के दूसरे दिन पहुंच पाती थी पुलिस :
बोंगी बरमोरिया पंचायत के गांव में नक्सलियों का खौफ ऐसा पैदा था कि लोग वहां रात तो दूर दिन में भी जाने से कतराते थे लेकिन आज सड़क और पुल पुलिया ने इसकी तस्वीर बदल दी है अब लोगों को भय नहीं लगती और बोगी बरमोरिया पहुंचकर गांव-गांव घूमकर आ जाते हैं. इससे धीरे-धीरे स्थानीय लोगों में नक्सलियों का खौफ भी मन से खत्म हो रहा है और जो अपराधी किस्म के लोग थे वह भी अपराध छोड़ अपने परिवार के विकास में जुड़ रहा है.
प्रभात खबर को बताया, नक्सलियों का था पहले खौफ
जब उक्त पंचायतों के गांव में स्थानीय लोगों से प्रभात खबर ने बात की तो उनलोगों का साफ कहना था कि सड़क और पुल-पुलिया नहीं रहने से यहां पर नक्सलियों का ऐसा ख़ौफ़ था कि अगर कोई घटना शाम में घट जाए तो रात ढलने की इंतजार पुलिस करती थी उसके बावजूद भी दूसरे दिन पुलिस पूरे तामझाम के साथ घटनास्थल पर पहुंचती थी लेकिन आज कोई घटना अभी हो जाए और सूचना पुलिस को दी जाए तो तुरंत पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर जांच कर लेती है और न्याय संगत कार्रवाई भी करती है, जिससे अपराधियों का मनोबल टूट रहा है एवं लोगों से नक्सलियों का धीरे-धीरे खोप खत्म हो रहा है.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan