जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए टीकाकरण जरूरी
जागरूकता. टीकू टॉक-टॉक कार्यक्रम का आयोजन प्रखंड क्षेत्र में नियमित टीकाकरण के बारे में जन जागरूकता को लेकर टीकू टॉक-टॉक कार्यक्रम का आयोजन कम टीकाकरण वाले प्रखंडों में किया गया. झाझा : प्रखंड क्षेत्र में नियमित टीकाकरण के बारे में जन जागरूकता को बढाने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, यूनिसेफ, रेडियो मिर्ची और कपूर्री […]
जागरूकता. टीकू टॉक-टॉक कार्यक्रम का आयोजन
प्रखंड क्षेत्र में नियमित टीकाकरण के बारे में जन जागरूकता को लेकर टीकू टॉक-टॉक कार्यक्रम का आयोजन कम टीकाकरण वाले प्रखंडों में किया गया.
झाझा : प्रखंड क्षेत्र में नियमित टीकाकरण के बारे में जन जागरूकता को बढाने के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, यूनिसेफ, रेडियो मिर्ची और कपूर्री ठाकुर ग्रामीण विकास संस्थान के द्वारा टीकू टॉक-टॉक कार्यक्रम का आयोजन आदर्श मध्य विद्यालय में किया गया. टीकू टॉक, नियमित टीकाकरण पर आधारित एक एडवोकेसी गतिविध है राज्य स्वास्थ्य समिति, यूनिसेफ रेडियो मिर्ची और कपूर्री ठाकुर ग्रामीण विकास संस्थान के द्वारा आयोजित होने वाले इस पहल का मुख्य उददेश्य लोगों को इस पहल के साथ जोड़ कर परिचर्चा, क्विज और जादू शो के माध्यम से नियमित टीकाकरण के बारे में उनकी जागरूकता को बढ़ाना है.
जमुई के 3 कम टीकाकरण वाले प्रखंडों झाझा, सोनो और चकाई में इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इसके अंतर्गत जन्म से 1 माह तक बच्चे को गंभीर बीमारियों को बचाने के लिए सरकार के विशेष नवजात देखभाई इकाई में लडकियों के दाखिले को बढाने के प्रति लोगों को जागरूक् करना भी है. जमुई के सिविल सर्जन डॉ सुरेद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि टीकाकरण लोगों के लिए बहुत ही जरूरी हैं. अपने टीकाकरण के अनुभव को साझा करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि पहले केवल एक ही टीका लगता था वो भी काफी दर्दकरक था. टीकाकरण के बारे में इतनी जागरूकता नहीं थी . डॉ सिंह ने कहा कि बच्चों को बीमार होने पर भी टीके लगवाएं जा सकते हैं. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ बिनोद कुमार राय ने कहा कि सरकार के द्वारा होने वाला टीकाकरण मुफत में करवाया जाता हैं. सरकारी अस्पतालों में टीका ठंढे बक्से में रखा जाता हैं और इसकी गुणवत्ता अधिकांश प्राईवेट अस्पतालों में मिलने वाले टीकों से बेहतर होती है. इसके साथ ही प्राईवेट में उसकी भारी-भरकम कीमत चूकानी पडती है. बचो को पहला टीका मां के गर्भ में ही दिया जाता है. आईपीवी के टीके के बारे में बताते हुए कहा कि पोलियो से डबल सुरक्षा के लिए इस टीके की दो बार जन्म के 6 वे सप्ताह या 14 वें सप्ता ह में दिया जाता है. यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने बच्चों के साथ इंटरएक्टिेव सेशन के दौरान बच्चों से पूछा व टीकाकरण के बारे में विस्तार से बतायी.क्या विश्व स्वा्स्थ्य संगठन के एसएमओ डा.वी पी सिंह ने कहा कि टीकाकरण को बढाने के लिए हमलोग कम प्रतिरक्षण और हार्ड टू रिच इलाके में विशेष सत्रों का आयोजन करते हैं साथ ही उसकी निगरानी करते हैं.यूनिसेफ की सलाहकार डा.अनुपमा झा ने एसएनसीयू में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विस्तार से बतायी. प्रख्यात जादूगर राकेष एंजल ने टीकाकरण और एसएनसीयू पर आधारित जादू के खेल दिखाए. इसके अलावा उन्होनें सभी 9 बीमारियों पोलियों, टीबी, डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, खसरा, जेई, हिब और हेपेटाइटीस बीके बारे में अलग-अलग जादूई खेलों के माध्यम से लोगों को समझाया.कार्यक्रम के दौरान एसआरसी, यूनिसेफ निगार कौसर, एसएमसी जमुई, मिराज जिया, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक गजेंद्र सिंह, प्रंखड समन्वयक, यूनिसेफ, शिवानी, हिमांशु नारायण लाल, मो.मिराज खान, एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकताएं उपस्थित थे.