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अतिथि शिक्षक के सहारे है कॉलेज

अनदेखी. केडीएस कॉलेज में मात्र चार विषय के हैं प्राध्यापक केडीएस कॉलेज गोगरी में शिक्षकों की कमी है़ इस कारण महाविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो दूर सामान्य शिक्षा भी अच्छी तरह से नहीं मिल पा रही है़ गोगरी : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पुराने महाविद्यालय में से एक केडीएस कॉलेज गोगरी में शिक्षकों […]

अनदेखी. केडीएस कॉलेज में मात्र चार विषय के हैं प्राध्यापक

केडीएस कॉलेज गोगरी में शिक्षकों की कमी है़ इस कारण महाविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो दूर सामान्य शिक्षा भी अच्छी तरह से नहीं मिल पा रही है़
गोगरी : तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पुराने महाविद्यालय में से एक केडीएस कॉलेज गोगरी में शिक्षकों की कमी है़ इस कारण महाविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो दूर सामान्य शिक्षा भी अच्छी तरह से नहीं मिल पा रही है़ शिक्षकों की कमी के कारण महाविद्यालय में कभी सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है़ इसके कारण छात्र- छात्राओं को सामने उहापोह की स्थिति बनी हुई है़ महाविद्यालय में छात्र- छात्राओं को सिलेबस पूरा नहीं होने के कारण प्राइवेट शिक्षकों का सहारा लेना पड़ रहा है़
इंटर की परीक्षा सर पर मंडरा रही है़
एक तरफ जहां कॉलेजों में बेहतर शिक्षा को लेकर सरकार व विश्वविद्यालय स्तर पर दावे किये जा रहे हैं और कॉलेजों में सुविधाएं बढ़ाने की योजना बनायी जा रही है़ वहीं, क्षेत्र के केडीएस काॅलेज गोगरी में कॉलेज शिक्षा व्यवस्था की दयनीय स्थिति बनी है़, जहां छात्र छात्राओं की काॅलेज शिक्षा दाव पर लगी है़ हाल यह है कि अगर कॉलेज की छात्र-छात्रा कॉलेज में होने वाली पढ़ायी के भरोसे रहे तो वे अपना पाठ्यक्रम कभी पूरा नहीं कर सकेंगे़. काॅलेज में शिक्षकों का घोर अभाव है़
यहां विषयवार शिक्षक ही नहीं जबकि कॉलेज में इंटर में एक हजार व स्नातक में छह सौ के करीब छात्र छात्रा है़ इसके विरुद्ध अगर शिक्षकों की बात करें तो काॅलेज में मात्र पांच व्यख्याता है़ जिसमें प्राचार्य भी शामिल है़ उनके अलावा इतिहास, राजनीतिशास्त्र, जीव विज्ञान ,हिन्दी, व दर्शनशास्त्र के व्यख्याता है, जबकि अन्य विषयों के कोई व्यख्याता नहीं है़ इससे छात्र -छात्राओं के काॅलेज में पठन -पाठन का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है़
विज्ञान की पढ़ायी तो और भी मुश्किल है कारण विज्ञान में तो मात्र एक वनस्पति विज्ञान के शिक्षक है़ जबकि विज्ञान के अन्य विषय में कोई शिक्षक हैं ही नहीं जिस कारण कॉलेज में विज्ञान की पढ़ायी के लिए क्लास तक नहीं हो पाता है़. कॉलेज में शिक्षकों की कमी व नियमित क्लास नहीं होने के कारण यहां छात्र-छात्राएं कॉलेज नहीं आते है़ं छात्र -छात्राओं ने बताया कि एक तो काॅलेज में शिक्षकों की कमी है़
शिक्षक की कमी को लेकर डीपीओ को आवेदन
गोगरी़ क्षेत्र के कन्या उर्दू मध्य विद्यालय में शिक्षकों की कमी को लेकर ग्रामीणों ने कार्यक्रम पदाधिकारी को आवेदन देकर ध्यान आकृष्ट कराया है़ लोगों ने डीपीओ को दिये गये आवेदन में कहा है कि विद्यालय में मात्र प्रधानाध्यापक सहित सात शिक्षक होने के कारण बच्चों के पठन-पठन पर गहरा असर पड़ रहा है. लोगों ने डीपीओ से विद्यालय में शिक्षक की कमी दूर करने की मांग की़ डीपीओ ने लोगों को इस ओर पहल का भरोसा दिलाते हुए कहा विभागीय स्तर पर जिले में किस विद्यालय में कितने शिक्षक हैं तथा कहां कमी व कहां शिक्षकों की संख्या ज्यादा है़

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