चौकसी. अपराधियों के खिलाफ मुहिम में आम लोग रहेंगे सुरक्षित
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सिमुलतला की सुरक्षा सख्त
चौकसी. अपराधियों के खिलाफ मुहिम में आम लोग रहेंगे सुरक्षित निश्चित रूप से इस प्रकार की पहल से अपराधिक एवं नक्सली गतिविधि पर विराम लगने की सम्भावना है. लेकिन चोर सिपाही के इस खेल में अक्सर आम इंसानो को भी कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. सिमुलतला :जिले के चरकापत्थर थाना क्षेत्र […]
निश्चित रूप से इस प्रकार की पहल से अपराधिक एवं नक्सली गतिविधि पर विराम लगने की सम्भावना है. लेकिन चोर सिपाही के इस खेल में अक्सर आम इंसानो को भी कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
सिमुलतला :जिले के चरकापत्थर थाना क्षेत्र में रविवार की रात्रि हुई नक्सली वारदात के मद्देनजर सिमुलतला क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त कर दी गई है. बताते चलें कि जब से सिमुलतला में एसएसबी जवानों की तैनाती हुई है. उनके एवं स्थानीय प्रशासन की संयुक्त प्रयास से अपराध मुक्त अभियान में कई सफलताएं भी हाथ लगी है. जगह जगह पर वाहनों की चेकिंग,क्षेत्र के विभिन्न मार्गो पर हर आने जाने वाले राहगीरों का बैग व अन्य सामान की जांच किया जाना निश्चित रूप से सख्त सुरक्षा का सन्देश देता है.
लेकिन अक्सर देखा जाता है कि इस प्रकार की चेकिंग के दौरान सुरक्षा बलो द्वारा आम लोगों के साथ अपराधियों जैसा बरताव किया जाता है. चेकिंग के दौरान कई बार आम राहगीरो के साथ सख्ति से पेश आने की बाते भी सामने आई है. हलांकि ऐसा करना उनलोगो के लिए जायज इस लिए है क्योंकि कोई भी अपराधियों के माथे पर अपराधी तो लिखा नहीं होता. अपराधियों को चिन्हित करने के लिए ये लोग इस प्रकार के नुस्खे इस्तेमाल करते है. लिहाजा आम इंसानो को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कारण चाहे जो भी हो लेकिन गौरतलव तो यह है कि सुरक्षा बलों की इस क्रियाकलाप से आम लोगों में प्रशासन के प्रति दहशत का माहौल बनता है जिसके कारण पुलिस पब्लिक के बीच बढ़ी दूरियां कम होता प्रतीत नहीं हो रहा है.
क्या कहते हैं बुद्धिजीवी
इस बाबत क्षेत्र के बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों का कहना है कि पुलिस पब्लिक के बीच बढ़ी दुरियां कम करने के लिए सुरक्षा बलो के विभिन्न कम्पनियों द्वारा कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है. बावजूद भी इस अभियान का कुछ खास असर पड़ता दिखाई नहीं देता है. जब तक पुलिस अपने क्रियाक्लापो के तरीके में से बीच का कोई निष्कर्ष नहीं निकाल लेती तबतक लोगों के मन में पुलिस के प्रति उतपन्न दहशत का माहौल पुलिस पब्लिक के बीच बढ़ रही दूरियां को कम करने में दीवार का काम करेगा.
कहते हैं सहायक सेनानायक
इस सन्दर्भ में एसएसबी कैम्प सिमुलतला के सहायक सेना नायक रितेश कुमार का कहना है हमारे जवानों की प्रशिक्षण ही इतनी कड़ी होती है कि वो नॉर्मली किसी के साथ पेश नहीं आ सकते. उस स्थिति में आम लोगों को ही समझौता करना पड़ेगा. दरअसल उक्त जवानों पर बहुत सारी जिम्मेदारी होती है कुछ तो मानसिक तनाव में भी रहते हैं.
क्या कहते हैं नक्सल क्षेत्र के ग्रामीण
इस सन्दर्भ में क्षेत्र के डहुआ, बखौरी, मानीकथान, जुड़पनिया, सतपोखरा, दुद्धीझरना, पैयझरना आदि दर्जनों नक्सल प्रभावित गांवों के ग्रामीण बताते है कि हमलोगों के गांव में नक्सली आते है तो वे लोग पनाह मांगते है और पुलिस आती है तो वे नक्सली के बारे में पूछती है बता दिया तो नक्सली की कार्रवाई और नहीं बताया तो पुलिस की प्रताड़ना, दोनों तरफ से तरफ से आम लोगों का मरण है,हमलोगो का तो जीना दुशवार हो गया है.
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