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शिक्षक के आचरण को बच्चे करते हैं आत्मसात

दो दिवसीय आचार्य कार्यशाला का बटिया में उद्घाटन विद्या भारती के निर्देश पर सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के शिक्षकों की हुई बैठक सोनो : सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय बटिया में रविवार को दो दिवसीय आचार्य कार्यशाला का शुभारंभ किया गया़ विद्या भारती के निर्देश पर आयोजित उक्त कार्यशाला का उद्घाटन बटिया सीआरपीएफ र्केप के इंस्पेक्टर […]

दो दिवसीय आचार्य कार्यशाला का बटिया में उद्घाटन

विद्या भारती के निर्देश पर सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय के शिक्षकों की हुई बैठक
सोनो : सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय बटिया में रविवार को दो दिवसीय आचार्य कार्यशाला का शुभारंभ किया गया़ विद्या भारती के निर्देश पर आयोजित उक्त कार्यशाला का उद्घाटन बटिया सीआरपीएफ र्केप के इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह व पूर्व जिला परिषद सदस्य पोषण यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया़ अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यूं तो बच्चों के प्रथम गुरु उसके माता-पिता होते है परंतु द्वितीय गुरु के रूप में शिक्षक की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है़ शिक्षकों के आचरण को बच्चे आत्मसात करते है.
इसलिए शिक्षकों को अपने आचरण को ऐसा रखना चाहिए जो आदर्श बने़ सोनो सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य रंजीत मिश्रा ने कहा कि हम शिक्षकों को अपने दायित्व को बेहतर ढंग से समझना होगा़ हम बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार भी देने में विश्वास रखते है़ बटिया विद्यालय के प्राचार्य मुकेश कुमार ने कहा कि हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए कटिबद्घ है़ कार्यशाला में सोनो व बटिया विद्यालय के प्राचार्य के अलावे सभी आचार्य ने भाग लिया़ दूसरे दिन के कार्यशाला में झाझा, मलयपुर व खैरा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य के भी शामिल होने की संभावना है़
शिक्षा अर्थोपार्जन के लिए नहीं, सेवा हो उद्देश्य
मुंगेर. सरस्वती शिशु मंदिर सादीपुर में चल रहे त्रि-दिवसीय आचार्य कार्यशाला में रविवार को विद्यालय का कार्य सुचारू ढ़ंग से चलाने पर प्रशिक्षण दिया गया. विद्यालय के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न प्रकार की वार्षिक योजनाएं बनायी गयी.
कार्यशाला में उपादेयता, शैक्षिक, उत्कृष्टता, कला कक्ष को व्यवस्थित करने, पंचपरी शिक्षण पद्धति, आदर्श शिक्षण कार्य एवं विभिन्न केंद्रीय आधारभूत विषयों पर विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.
सेवा कार्य, संस्कार केंद्र, समाज के उपेक्षित अंगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए विभिन्न कार्य प्रणालियां पर चर्चा पर वार्ता हुई. मार्गदर्शक जयप्रकाश झा ने बताया कि शिक्षा अर्थोपार्जन के लिए नहीं बल्कि दूसरों की सेवा करने के लिए होनी चाहिए. यदि एक आचार्य बालकों के व्यवहार में परिवर्तन कर दे तो वहीं सम्यक शिक्षण कार्य है और यह परिवर्तन केवल लिखने से नहीं बताया बल्कि सुनने, बोलने और पढ़ने से आता है.
समाज से जुड़ने के लिए शिक्षकों को सेवा कार्य से जुड़ना होगा. साथ ही आध्यात्मिक भी बनना होगा अर्थात आत्मा की सही अभिव्यक्ति करना होगा. डॉ इंद्रदेव प्रसाद ने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बिना किसी दवा और डॉक्टर के आसान इलाज का उपाय एक्यूप्रेसर पर विस्तार से चर्चा की. मौके पर उमाकांत पाठक, गौरी ओझा, प्रधानाचार्य नवीन कुमार मिश्र, कार्यक्रम प्रमुख विपिन , उमाकांत पाठक मौजूद थे.

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