जमुई : चकाई के पूर्व विधायक सुमित कुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बिहार में इंटर की परीक्षा कदाचार रहित हो रही है. इसी तर्ज पर मैट्रिक परीक्षा के संचालन की घोषणा की गयी है. वह भी कदाचारमुक्त परीक्षा के पक्ष में हैं, क्योंकि इससे आखिरकार नुकसान बिहार और छात्र बंधुओं को होता है.
लेकिन राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण व्यवस्था की स्थापना सिर्फ कड़ाई से परीक्षा लेने से नहीं होगा. बल्कि सुचारू व नियमित शिक्षण से ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. क्या स्कूल/कॉलेजों में पाठ्यक्रम ससमय पूरा होता है, क्या हमारे शिक्षकों को अवसर है कि वह पाठ्यक्रम को पूरा करवा सकें. उन्हें निरंतर गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है़ कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिनकी सक्षमता पर सवाल उठते रहे हैं.
उनकी नियुक्ति कर हमारे भविष्य को मटियामेट करने वाले साफ बच जा रहे हैं. क्या हमारे बच्चे-किशोर-युवा स्कूल-कॉलेज की वर्तमान शिक्षण व्यवस्था के दम पर जीवन के संघर्ष क्षेत्र के लिए समर्थ बन पायेंगे. ऐसे में परीक्षा में कड़ाई के साथ-साथ शिक्षण व्यवस्था में आमूलचूल सुधार वक्त की जरूरत है. स्कूल में समय अनुशासन का कड़ाई से पालन और पाठ्यक्रम को सारगर्भित तरीके-से पूरा कराया़ पाठ्यक्रम का कम-से-कम एक बार पुर्नपाठ सुनिश्चित करवाना चाहिए,
तभी कदाचारमुक्त परीक्षा अपना उद्देश्य हासिल कर पायेगा. एक सवाल यह भी है कि क्या संगीन के साये में ही कदाचारमुक्त परीक्षा संभव है. उसके लिए परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों को जागरूक क्यों नहीं किया जाता. शासन-प्रशासन के लोग इसे जन अभियान का स्वरुप क्यों नहीं देते. जब तक इसके लिए उन्हें नैतिक रूप-से जिम्मेवार नहीं बनाया जाएगा. तब तक बंदूक के दम पर लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता़ कलम का इलाज बंदूक से कैसे हो सकता है.