उन्होंने अपने विलक्षण वैज्ञानिक गुणों से 1953 में पूरे विश्व सांख्यिकी जगत को एक नया मॉडल दिया था जो आर्थिक विकास के क्षेत्र में महानोलोबिस मॉडल के रुप में विख्यात हुआ. इसी मॉडल के आधार पर भारत के द्वितीय पंचवर्षीय योजना की रुपरेखा तैयार की गयी थी. उन्होंने कहा कि महानोलोबिस का जन्म 28 जून 1893 को हुआ था और 1913 में वे अध्ययन के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गये थे.
वहां से लौटने के पश्चात उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता में प्राचार्य के पद पर अपना योगदान दिया. जिला सांख्यिकी पदाधिकारी गणोश राम ने अपने संबोधन में कहा कि अपने जीवन के उत्तरार्ध में वे योजना आयोग के सदस्य बने और उनकी प्रतिभाओं को नमन करते हुए भारत सरकार ने 1968 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया. इस अवसर पर सुनील प्रसाद,अनिल कुमार सिंह,अविनाश सिन्हा,सुभाष कुमार साह समेत दर्जनों सांख्यिकी कर्मी मौजूद थे.