सूत्रों की मानें तो धान अधि प्राप्ति के इस खेल में बिचौलियों की खूब चली. धान बिक्री के लिए एलपीसी आदि कागजी खानापूर्ति करने में परेशानी महसूस कर रहे ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्र के किसानों के धान क्रय का मूल्य महज एक हजार से 1100 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
कम दर पर खरीदे गये ये धान सरकारी दर पर पैक्स या खाद्य निगम को बेचा गया. खाद्य निगम व पैक्स कर्मियों की मिलीभगत से यह धंधा खूब फला-फूला. चिह्न्ति किसान व्यापारी व बिचौलियों के धान आसानी से खरीदे गये. विपक्षी राजनीतिक पार्टियां हाय-तौबा भी मचाया. प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार की मानें तो धान अधिप्राप्ति का 15 हजार क्विंटल का लक्ष्य पूरा हो गया है और तिथि भी खत्म हो गयी है. लिहाजा अब शेष बचे किसानों के धान नहीं खरीदे जायेंगे.