विधान परिषद में विधानसभा कोटे की दो सीटों पर भाजपा उतारेगी अपना उम्मीदवार, इन नामों पर हो सकता है वापस विचार…

पटना : विधान परिषद में विधानसभा कोटे की नौ सीटों में भाजपा की झोली में आयी सीटों के लिए दल के अंदर हर स्तर पर रेस तेज हो गयी है. माना जा रहा है कि भाजपा को इसमें दो सीटें मिलेंगी. इन दो सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को फाइनल करने के लिए 23 जून को प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में होने जा रही है. नयी दिल्ली स्थित भाजपा केंद्रीय मुख्यालय से नाम पर अंतिम मुहर लगने के बाद इसे राज्य में भेजा जायेगा. 25 जून को चयनित उम्मीदवार नामांकन करेंगे और इसके साथ ही उनका विधान परिषद में जाने का रास्ता सुनिश्चित हो जायेगा. अब इन दो सीटों के लिए पार्टी के अंदर दौड़ तेज हो गयी है.

By Prabhat Khabar | June 19, 2020 7:45 AM

पटना : विधान परिषद में विधानसभा कोटे की नौ सीटों में भाजपा की झोली में आयी सीटों के लिए दल के अंदर हर स्तर पर रेस तेज हो गयी है. माना जा रहा है कि भाजपा को इसमें दो सीटें मिलेंगी. इन दो सीटों पर उम्मीदवारों के नाम को फाइनल करने के लिए 23 जून को प्रदेश भाजपा कोर कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में होने जा रही है. नयी दिल्ली स्थित भाजपा केंद्रीय मुख्यालय से नाम पर अंतिम मुहर लगने के बाद इसे राज्य में भेजा जायेगा. 25 जून को चयनित उम्मीदवार नामांकन करेंगे और इसके साथ ही उनका विधान परिषद में जाने का रास्ता सुनिश्चित हो जायेगा. अब इन दो सीटों के लिए पार्टी के अंदर दौड़ तेज हो गयी है.

इन्हें मिल सकता है मौका

इस कोटे पर पहले से मौजूद तीन विधान पार्षदों संजय मयूख, कृष्ण कुमार सिंह और राधामोहन शर्मा में किनको दोबारा मौका मिलेगा, इस पर तमाम समीकरणों को ध्यान में रखते हुए तेजी से जोड़-तोड़ शुरू हो गयी है. वहीं, पार्टी के अंदर एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो इन दोनों सीटों पर दो नये लोगों को भेजने की वकालत करने में लग गया है. ये लोग पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़े योग्य कार्यकर्ता या पदाधिकारियों को मौका देने के लिए समीकरण बैठाने में पूरी तरह से जुड़ गये हैं. इसमें जाति फैक्टर से लेकर आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए गणित सेट करने की कवायद चल रही है. कुछ पुराने उपाध्यक्ष, महामंत्री, मीडिया प्रभारी से लेकर अन्य स्तर के पार्टी पदाधिकारियों के लिए भी गोलबंदी तेज है.

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