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Bihar: गोपालगंज में जिस डुमरिया पुल से गंडक नदी में गिरा कंटेनर, जानें उसे क्यों कहा जाता है मौत का ब्रिज

बिहार के गोपालगंज जिले में बहने वाली गंडक नदी पर बना डुमरिया पुल हादसों को आमंत्रण देता है. डुमरिया पुल से एक कंटेनर गंडक नदी में पलट गया. पुल की जर्जर हालत और इतिहास के बारे में जानें...

Bihar Bridge News: बिहार के गोपालगंज जिले में बहने वाली गंडक नदी(Gandak River) पर बना है डुमरिया पुल. यह पुल अक्सर सुर्खियों में रहता है. कारण है इसकी जर्जर हालत और इसकी दुर्दशा का रोजाना शिकार होने वाले लोग. लेकिन आज इस पुल की चर्चा इसलिए है क्योंकि एक तरफ जहां बिहार में बाढ़ ने दस्तक दी है वहीं नदी में उफान के बीच डुमरिया पुल पर से एक कंटेनर(ट्रक) अनियंत्रित होकर नदी में गिर गया. चालक और खलासी लापता हैं. इस घटना के बाद फिर एकबार डुमरिया पुल चर्चे में है. जानते हैं इस पुल का इतिहास और वर्तमान.

70 के दशक में बना डुमरिया पुल

गोपालगंज में गंडक पर बने डुमरिया पुल आए दिन सुर्खियों में रहता है. लंबे समय से यह मांग जारी रही कि डुमरिया पुल की हालत को सही किया जाए. लेकिन किसी ने कभी इसकी सुध नहीं ली. यह पुल 70 के दशक में बनाया गया था. करोड़ों रुपये की लागत से तब बना यह पुल आज बड़े हादसों को आमंत्रण देता है.

रख-रखाव और मरम्मत के अभाव में डुमरिया पुल

रख-रखाव और मरम्मत के अभाव में बीते डेढ दशक से यह पुल जर्जर रहा. हालांकि पिछले साल ही इस पुल को करीब 165.76 करोड़ रुपये की लागत से मरम्मत करने की घोषणा कर दी गयी है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गंडक नदी पर ही यहां फोरलेन पुल का सौगात भी दिया. फोरलेन पुल आम लोगों के आवागमन के लिए 2026 में उपलब्ध हो सकेगा.

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अंतर्राष्ट्रीय महत्व का पुल

गंडक नदी पर बने इस पुराने डुमरिया पुल को 70 के दशक में बनाया गया था. इस पुल के बन जाने से जहां सारण और चंपारण की दूरी घटी तो दिल्ली से गुवाहाटी भी सीधे रोडवेज से जुड़ गया. तिरहुत, दरभंगा, वैशाली और सीतामढ़ी इस पुल के जरिये ही पूर्वी उत्तर प्रदेश से सीधा संपर्क में आते हैं. वहीं उत्तर बिहार को यह पुल नेपाल से जोड़ता है जिसके कारण यह अंतर्राष्ट्रीय महत्व का है. लेकिन इस पुल के जर्जर होने से कभी भी इसके गिरने का खतरा बना हुआ है.

पुल की हालत जर्जर, पहले भी डूबे कंटेनर

सेतु जर्जर हालत में है जो स्विंग करता है और इसके दोनों ओर की रेलिंग भी टूट चुकी है. सेतु का 75 फीसदी भाग बिना रेलिंग का है . यहां कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन इस ओर कोई सुध नहीं ले सका. कंटेनर डूबने की घटना पहले भी हो चुकी है.

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Published By: Thakur Shaktilochan

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