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डिजिटल बिहार को संरक्षण देने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई

संजय कुमार अभय, गोपालगंज : डिजिटल बिहार नामक कागजी कंपनी बनाकर बेरोजगार नौजवानों को नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा का खुलासा हो चुका है. एसडीओ वर्षा सिंह ने गहन जांच के बाद डीएम को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सौंप दी है. फर्जीवाड़े में लिप्त डिजिटल बिहार संस्था को जिले के कुछ अधिकारियों का संरक्षण […]

संजय कुमार अभय, गोपालगंज : डिजिटल बिहार नामक कागजी कंपनी बनाकर बेरोजगार नौजवानों को नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा का खुलासा हो चुका है. एसडीओ वर्षा सिंह ने गहन जांच के बाद डीएम को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सौंप दी है. फर्जीवाड़े में लिप्त डिजिटल बिहार संस्था को जिले के कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने का खुलासा हुआ है. इसमें जिला नियोजन पदाधिकारी व उद्योग विभाग के महाप्रबंधक के अलावे कुछ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पायी गयी है.

डीएम के स्तर से इस मामले में कार्रवाई भी शुरू कर दी गयी है. अधिकारियों की भूमिका की भी अब जांच शुरू हो गयी है. जांच से फर्जीवाड़े में लिप्त अधिकारियों से लेकर लोगों तक की मुश्किलें भी बढ़ गयी हैं.
कैसे किया फर्जीवाड़ा
डिजिटल बिहार की जांच कर रहे अधिकारियों के सामने फर्जीवाड़ा परत-दर-परत खुलने लगा. प्रधानमंत्री की स्टार्ट-अप योजना के लंच करने का फायदा उठाकर फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन भी कराने का मामला सामने आया है.
जांच के दौरान अजीत पांडेय ने उद्योग आधार मेमोरेंडम की छाया प्रति उपलब्ध करायी. इसमें क्रमश: 500 लाख, 10 लाख, 10 लाख, 500 लाख का प्लांट मशीनरी संसाधन की आधारभूत संरचना की घोषणा की गयी है.
उसका कोई भी संसाधन धरातल पर नहीं मिला, जिससे स्पष्ट हुआ कि डिजिटल बिहार संस्था कहीं कोई स्टार्ट-अप योजना पर कार्य नहीं कर रही. उधर, उद्योग विभाग के महाप्रबंधक ने बताया कि उद्योग का आधार मेमोरेंडम कहीं से भी ऑनलाइन निकल सकता है. इसकी पंजी का संधारण कहीं से भी नहीं किया जाता है. यह पूर्ण रूप से स्वैच्छिक है.
उद्योग विभाग से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद फर्जीवाड़ा किया जाता था. डिजिटल बिहार द्वारा चयनित अभ्यर्थियों का नियोजन किस संस्थान में किया गया है, इसकी जानकारी तक प्रवर्तक कहे जाने वाले अजीत पांडेय ने नहीं दी. कितने अभ्यर्थियों का चयन किया गया, इसकी भी कोई जानकारी जांच टीम को नहीं दी गयी.
एसडीओ की जांच में नहीं मिला सारण में डिजिटल बिहार
शिकायतकर्ताओं ने आवेदन पत्र में वर्णित क्षेत्रीय परियोजना इकाई का कार्यालय सारण प्रमंडल में केनरा बैंक के समीप स्थित बताया था. एसडीओ की पूछताछ में अजीत पांडेय ने दहियवां के पास कार्यालय होने की बात कहते हुए, वहां के प्रवर्तक का नाम श्याम नंदन मिश्र बताया. इस पर सारण के एसडीओ से जांच करायी गयी. सारण एसडीओ के पत्रांक 1073 दिनांक 28.5.2019 में स्पष्ट किया गया कि डिजिटल बिहार संबंधी कार्यालय सारण में अवस्थित नहीं है.
डिजिटल बिहार के संरक्षणकर्ताओं की भूमिका की जांच जरूरी
एसडीओ वर्षा सिंह ने बताया कि डिजिटल बिहार के संरक्षणकर्ताओं की भूमिका की जांच के लिए डीएम सर को रिपोर्ट भेजी गयी है. कार्रवाई जिला स्तर पर होनी है. बेरोजगार युवाओं को ठगने का गोरखधंधा फर्जी संस्था बनाकर किये जाने के साक्ष्य सामने आये हैं.
इनकी शिकायत से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
डिजिटल बिहार के संस्थापक के विरुद्ध हरेंद्र कुमार, पंकज पटेल, दिग्विजय राय, ज्योति कुमारी व मृगेंद्र राय ने शपथपत्र के साथ आवेदन देकर नौकरी देने के नाम पर राशि मांगने व नियुक्ति पत्र में गलत पता देने का गंभीर आरोप लगाया था.
इनके आरोप पर एसडीओ ने जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक कमलेश सिंह के साथ 29 अप्रैल 2019 को जंगलिया स्थित डिजिटल बिहार के कार्यालय पर छापेमारी की. इस दौरान डिजिटल बिहार के प्रवर्तक अजीत कुमार पांडेय ने कार्यालय से संबंधित कोई कागजात प्रस्तुत नहीं किया. जांच के दौरान भारी मात्रा में अवैध व आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किये गये. जांच होने तक कार्यालय को सील कर दिया गया.
अधिकारियों की छापेमारी में डिजिटल बिहार के कार्यालय से अलग-अलग जिले के अधिकारियों के रबड़ स्टांप (मुहर) बरामद किये गये. यह स्पष्ट करता है कि एक ही आदमी द्वारा फर्जी हस्ताक्षर कर अलग-अलग मुहर का प्रयोग कर युवाओं को ठगने का काम किया जाता था. मुहर के मामले में कोई ठोस जानकारी जांच टीम को नहीं देने की बात भी सामने आयी है.

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