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उत्तर बिहार में विदेशों से पहुंचती थी टेरर फंडिंग, एनआईए के हत्थे चढ़े गोपालगंज का महफूज, खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट

II संजय कुमार अभय II गोपालगंज : उत्तर बिहार में लश्कर-ए-तैयबा का नेटवर्क मजबूत करने के लिए विदेशों से फंड पहुंच रहा था. एनआईए के रिमांड पर लेते ही महफूज आलम ने कई राज उगलने शुरू कर दिये हैं. उसकी गिरफ्तारी से लश्कर के उत्तर बिहार के बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है. लश्कर के […]

II संजय कुमार अभय II
गोपालगंज : उत्तर बिहार में लश्कर-ए-तैयबा का नेटवर्क मजबूत करने के लिए विदेशों से फंड पहुंच रहा था. एनआईए के रिमांड पर लेते ही महफूज आलम ने कई राज उगलने शुरू कर दिये हैं. उसकी गिरफ्तारी से लश्कर के उत्तर बिहार के बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है.
लश्कर के आतंकी शेख अब्दुल नईम के नेटवर्क में 136 युवक जुड़े हुए हैं, जो लश्कर के सीक्रेट मिशन पर हैं. नईम के लिए महफूज आलम बिहार के साथ-साथ यूपी ओड़िशा और जम्मू-कश्मीर में लश्कर के ठिकाने बनाने में मदद कर रहा था. गोपालगंज में तीन वर्षों तक अपना अड्डा बनाकर लश्कर के लिए भारत में नेटवर्क तैयार करने में जुटा हुआ था. 2014 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कोर्ट की पेशी के दौरान कोलकाता से ले जाते वक्त रायपुर से भागकर नईम सीधे गोपालगंज पहुंचा और सोहैल खान बनकर यहां लश्कर के लिए काम करने लगा.
इसी क्रम में उसने सरेया वार्ड नं एक के रहने वाले एनएसयूआई के नेता बेदार बख्त उर्फ धन्नु राजा तथा खजूरबानी वार्ड नं 25 के महफूज आलम समेत कई युवाओं को अपने संगठन में जोड़ कर अपना मिशन पूरा कर लिया. एनआईए को जब गोपालगंज में लश्कर की गतिविधि की भनक लगी तो फरवरी, 2017 से इस पर नजर रखा जाने लगा.
इसकी जानकारी नईम को हो चुकी थी और वह वाराणसी में अपना काम करने पहुंच गया था, जहां से गत 28 नवंबर को उसे गिरफ्तार किया गया. उसके बताने के बाद एनआईए की टीम ने एक दिसंबर को धन्नु राजा को गिरफ्तार किया. जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ती गयी वैसे-वैसे नेटवर्क से जुड़े लोगों के चेहरे बेनाकाब होते चले गये. इस क्रम में एनआईए के निर्देश पर नगर थाने की पुलिस ने 31 जनवरी की रात में गोपालगंज से महफूज आलम को गिरफ्तार कर लिया.
मुजफ्फरनगर से महफूज का जुड़ा कनेक्शन : सुरक्षा एजेंसियों को महफूज से मिली जानकारी के बाद स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान से सीधा कैश आने पर सुरक्षा एजेंसियों को शक होता, इसलिए लश्कर का पैसा अमेरिका, जापान, थाईलैंड, ओमान, अरब अमीरात से कैश मंगाया जाता था.
खाड़ी देशों से वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के जरिये लश्कर के आतंकियों को रकम भेजी जा रही थी. उसके बताने के अनुरूप मुजफ्फरनगर के दो हवाला कारोबारियों दिनेश गर्ग और आदेश कुमार जैन के घर एनआईए की छापेमारी हुई है. दिनेश गर्ग के घर से 15 लाख नकद के साथ एक पिस्टल, दो नोट गिनने वाली मशीन के साथ ही तमाम फोन और लैपटॉप मिले हैं. वहीं, दूसरे कारोबारी आदेश जैन के घर से 32.84 लाख रुपये, एक चाइनीज पिस्टल के साथ तमाम विदेशी हवाला कारोबारियों का रिकॉर्ड मिला है. ये लश्कर के आतंकियों को हवाला के जरिये पैसा पहुंचा रहे थे. दोनों हवाला कारोबारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
कौन है नईम : महाराष्ट्र के औरंगाबाद के रहने वाले आतंकी शेख अब्दुल नईम 2006 में हैदराबाद में हुए धमाकों का आरोपित है. उसे 28 अगस्त, 2014 को हावड़ा दमदम जेल से मुंबई में पेशी के लिए ले जाया जा रहा था. इसी दौरान मुंबई हावड़ा मेल से चलती ट्रेन से छत्तिसगढ़ के खरसिया व राबर्टसन स्टेशन के बीच फरार हो गया था. वहां से गोपालगंज में आकर अपना नेटवर्क तैयार किया. खुफिया एंजेसियां उसकी तलाश में जी-जान से जुटी थी.
कॉल इंटरसेप्ट में आतंक के इस प्लान का खुलासा होने के बाद एनआईए की टीम ने वाराणसी से छापा मारकर आतंकी को गिरफ्तार कर लिया. सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी के पास से सेना के कैंपों की तस्वीरें प्राप्त हुई थीं.
चीन से जुड़ा है नईम का तार : सुरक्षा सूत्रों की मानें तो बोधगया महाबोधि मंदिर के परिसर से बरामद शक्तिशाली बमों में पुलवामा, कश्मीर के निवासी तौसीफ अहमद मलिक के शामिल होने का खुलासा हुआ है.
नईम का संबंध चीन से भी जुड़े होने की संभावना को खंगाला जा रहा है. चीन के निशाने पर दलाई लामा हैं. लश्कर दलाई लामा के कार्यक्रम को देखते हुए गया को दहलाने के फिराक में था. नईम लश्कर के लिए ठीक उसी तरह काम करता था, जिस तरह 26/11 के मुंबई अटैक में अमेरिकी नागरिक हेडली ने किया था. बोधगया में बरामद बम में तौसिफ का नाम सामने आया है. ्साथ ही मुजफ्फरनगर में इनके साथी आदेश जैन के पास से बरामद किया गया चीन निर्मित हथियार भी इसे बल देता है.
महफूज के खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट
गोपालगंज : उत्तर बिहार में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 136 युवकों की पहचान सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है. लश्कर के आतंकी शेख अब्दुल नईम ने गोपालगंज में सोहैल खान बनकर एक मजबूत माड्यूल स्लीपर सेल तैयार कर चुका है.
नईम छत्तीसगढ़ से भाग कर गोपालगंज में अपना अड्डा इसलिए भी बनाया कि गोपालगंज के लोग अमन पसंद हैं. यहां किसी को लश्कर की गतिविधि का शक नहीं होगा. नेपाल से चंपारण की दूरी होने से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा आसानी से दे सकेगा. अब्दुल नईम गोपालगंज में शिक्षक के रूप में समाज को धोखा देकर लश्कर का काम किया. नेपाल नजदीक होने का फायदा उठाया.
नेपाल के रास्ते आसानी से न सिर्फ नोट बल्कि हथियार भी पहुंच रहे थे. नेपाल के बॉर्डर का इलाका गोपालगंज के अलावा मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, सीतामढ़ी, सीवान, सारण में अपने नेटवर्क से युवाओं को जोड़ चुका है. हालांकि देश की सुरक्षा एजेंसियां इसे खंगालने में जुटी हुई हैं.
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि खजूरबानी से गिरफ्तार किये गये महफूज आलम जैसे युवकों को गुमराह कर उन्हें लश्कर से जोड़ चुका है, जो अब पैसे और शोहरत के नशे में लश्कर के लिए काम कर रहे हैं. महफूज हाशमी लश्कर के इन युवाओं तक फंडिंग करने का काम करता था. इसके लिए वह कश्मीर तक जा चुका था. जम्मू कश्मीर में लश्कर के हैंडलर अब्दुल रघु (पाकिस्तान में कमांडर) के सलाह पर महफूज फंड जुटाने का काम कर रहा था.
अपना आधार और आईडी कार्ड देकर मनी ट्रांसफर से मंगाया कैश
एनआईए की टीम के सामने महफूज ने कई तथ्यों का खुलासा किया, जिसमें अब साफ हो गया है कि लश्कर आतंकी शेख अब्दुल नईम जम्मू-कश्मीर अपने हैंडलर अब्दुल रघु के इशारे पर उत्तर बिहार के नेटवर्क को संचालित कर रहा था.
इसके लिए महफूज का उपयोग उसने किया. महफूज के आधार कार्ड, आईडी कार्ड का उपयोग कर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, अमेरिका, जापान, थाईलैंड, ओमान जैसे देश से मनी ट्रांसफर के जरिये करोड़ों रुपये मंगा चुका था. यह रुपये देश को दहलाने के लिए खर्च होना था. नेटवर्क से जुड़े युवकों को सारी सुविधाएं इस फंड से उपलब्ध करायी जाती थीं. पूरे नेटवर्क को खंगालने में सुरक्षा एजेंसियां जुटी हुई हैं. गोपालगंज को लश्कर ने आतंकियों का गढ़ बना दिया है.
गोपालगंज में रह कर उत्तर भारत में तैयार किया गढ़
लश्कर का आतंकी शेख अब्दुल नईम गोपालगंज में सोहैल खान बनकर निषिद्ध आतंकवादी संगठन को बिहार, ओडिशा, यूपी और जम्मू कश्मीर में अपने हैंडलर अब्दुल रघु (एलईटी) की सलाह पर एक मजबूत नेटवर्क तैयार कर चुका था. उसके इशारे पर काम हो रहा था.
गोपालगंज में सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई के बाद भी आम लोगों को भरोसा नहीं हो रहा कि लश्कर की गतिविधियां इतना जड़ जमा चुकी है. महफूज के बताने पर सुरक्षा एजेंसियों ने एनआईए के डिप्टी एसपी दीपेंद्र कुमार के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर कोतवाली क्षेत्र के सर्राफा बाजार में दो दुकानों व मकानों पर शनिवार की रात 12 बजे छापेमारी की. अरिहंत ज्वेलर्स के मालिक आदेश जैन एवं सर्राफ अंकित गर्ग को गिरफ्तार कर एनआईए ने विदेशी करेंसी व बड़ी मात्रा में ज्वेलरी, अंकित गर्ग के आवास से लाखों का कैश, पिस्टल, सील किये हुए लैपटॉप, हार्ड डिस्क, लेजर, मोबाइल व अन्य बैंकों के लेनदेन संबंधी दस्तावेज कब्जे में लिये.
महफूज और धन्नु राजा को भी लश्कर से मिली थी सुविधा
लश्कर से जुड़े बेदार बख्त उर्फ धन्नु राजा तथा महफूज को लश्कर की तरफ से हर सुविधाएं उपलब्ध थीं. जानकार बताते हैं कि लग्जरी गाड़ियों के अलावा बाइक, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि भी उपलब्ध कराया गया था. दोनों ने एनएसयूआई के नाम पर छात्र राजनीति कर अपनी पहचान बनायी. कमला राय कॉलेज में छात्रों की समस्याओं को लेकर कई आंदोलन भी प्रमुख रूप से कर चुका था. अक्सर कॉलेज और शहर में बाइक पर स्टंट करते हुए देखा जाता था.
एनएसयूआई के सक्रिय सदस्य के रूप में समाज में पहचान बनाया था. सोहैल खान के गोपालगंज छोड़ने के बाद से ही महफूज काफी रिजर्व हो गया था. उसके जिम्मे एक अहम काम लश्कर ने सौंपा था, जिसे वह पूरा करने में जुटा हुआ था. हालांकि उसके मिशन का खुलासा अब तक सुरक्षा एजेंसियां नहीं कर पायी हैं. बोधगया विस्फोट को लेकर भी इनसे पूछताछ की गयी है.

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