कसा शिकंजा . फाइलों में दफन हो गयी थी गर्भाशय घोटाले की कार्रवाई
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जांच और कार्रवाई में लगे चार साल
कसा शिकंजा . फाइलों में दफन हो गयी थी गर्भाशय घोटाले की कार्रवाई पैसे के िलए जीवन से िखलवाड़, दर्ज हुई एफआइआर गर्भाशय कांड की जांच जून, 2012 में की गयी नर्सिंग होम से जुलाई, 2012 में स्पष्टीकरण लिया गया जांच टीम के अधिकारियों ने 30 अक्तूबर, 12 को रिपोर्ट भेजी डीएम की गोपनीय शाखा […]
पैसे के िलए जीवन से िखलवाड़, दर्ज हुई एफआइआर
गर्भाशय कांड की जांच जून, 2012 में की गयी
नर्सिंग होम से जुलाई, 2012 में स्पष्टीकरण लिया गया
जांच टीम के अधिकारियों ने 30 अक्तूबर, 12 को रिपोर्ट भेजी
डीएम की गोपनीय शाखा ने 17 सितंबर, 13 को पूरी रिपोर्ट डीडीसी से मांगी गयी
पूरी रिपोर्ट नहीं मिलने पर अंतिम स्मार पत्र 19 अक्तूबर, 14 को भेजा गया
डीडीसी ने 3 नवंबर, 14 को डॉक्टरों से स्पष्टीकरण और कार्रवाई की अनुशंसा की रिपोर्ट भेजी
डीएम की गोपनीय शाखा ने 29 नवंबर, 15 को एडीएम विभागीय जांच से मंतव्य की मांग की
अपर समाहर्ता ने 15 जनवरी, 16 को अपना मंतव्य देते हुए रिपोर्ट डीएम को सौंपी
डीएम ने 2 फरवरी, 16 को सीएस को अस्पतालों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया
सीएस ने 23 फरवरी, 16, 3 मार्च, 16 तथा 12 मार्च, 16 को सरकारी वकील से मंतव्य मांगा
सरकारी वकील ने 21 मार्च, 16 को प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की अनुशंसा की
सीएस ने 7 तथा 15 अप्रैल, 16 को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाने को लिखा
नगर थाने में 16 अप्रैल, 16 को प्राथमिकी दर्ज की गयी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में चयनित नर्सिंग होमों ने मानवता को तार-तार कर के रख दिया है. बेवजह सर्जरी कर गर्भाशय का ऑपरेशन कर बीमा योजना की राशि निकाल ली गयी. इसका जब खुलासा हुआ, तो गोपालगंज के आठ नर्सिंग होम इसमें लिप्त पाये गये. चार साल की लंबी जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.
गोपालगंज :पैसे के लिए जीवन से किस तरह से खिलवाड़ किया जाता है, इसका नमूना गर्भाशय कांड है. इस कांड की जांच और कार्रवाई पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. डेढ़ वर्षों तक डीएम के ओएसडी के कार्यालय से लेकर हर स्तर पर यह फाइल कार्रवाई के इंतजार में दम तोड़ती रही.
जब शासन स्तर पर सख्ती बरती गयी, तो आनन-फानन में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी.
गर्भाशय कांड में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद आरोपित नर्सिंग होमों के संचालकों की बेचैनी बढ़ गयी है. कानून का शिकंजा अब इन पर भी कसने लगा है. इस कांड में डॉक्टर भी अब आश्वस्त हो चुके थे कि उन पर कार्रवाई नहीं होगी. इस बीच अचानक प्राथमिकी दर्ज कराये जाने से उनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं.
प्रभात खबर के पास उपलब्ध साक्ष्य पर नजर डालें, तो चौंकानेवाली बात सामने आयी है. गर्भाशय कांड को हर स्तर पर दबाने का काम अधिकारियों ने किया है.
इनके विरुद्ध दर्ज हुई प्राथमिकी
गर्भाशय कांड में जांच के दौरान उपकार सेवा सदन, सृष्टि सौम्या अस्पताल, आलम हॉस्पिटल मीरगंज, जगदंबा नर्सिंग होम, सर्जरी ब्यूरो सेंटर गोपालगंज, विप्रसी हॉस्पिटल, डॉ सुभाष चंद्र गुप्ता हॉस्पिटल मीरगंज, सौरभ हॉस्पिटल गोपालगंज के डॉक्टर और प्रबंधक पर प्राथमिकी सिविल सर्जन डॉ मधेश्वर प्रसाद शर्मा ने दर्ज करायी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
सरकार ने गर्भाशय कांड में सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया था. निर्देश आने के साथ ही फाइल को खोज कर कार्रवाई की गयी है.
देवेंद्र प्रताप शाही, ओएसडी, गोपालगंज
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