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पश्चिमी सभ्यता की छाप छोड़ गया थावे महोत्सव!

महात्मा गांधी के भजन पर थिरके रॉक बैंड पार्टी के कलाकार अहमदाबाद से भजन के लिए बुलाया गया धनुष रॉक बैंड थावे में पहली बार धनुष रॉक बैंड को देख आश्चर्य में थे लोग थावे :पर्यटन विभाग की तरफ से आयोजित थावे महोत्सव पश्चिमी सभ्यता का छाप छोड़ गया. भारतीय संस्कृति, सभ्यता, लोक परंपरा के […]

महात्मा गांधी के भजन पर थिरके रॉक बैंड पार्टी के कलाकार

अहमदाबाद से भजन के लिए बुलाया गया धनुष रॉक बैंड
थावे में पहली बार धनुष रॉक बैंड को देख आश्चर्य में थे लोग
थावे :पर्यटन विभाग की तरफ से आयोजित थावे महोत्सव पश्चिमी सभ्यता का छाप छोड़ गया. भारतीय संस्कृति, सभ्यता, लोक परंपरा के लिए आयोजित महोत्सव को राष्ट्रीय ख्याति दिलाने के लिए गुजरात के अहमदाबाद से मेघ धनुष रॉक बैंड को बुलाया गया था.
रॉक बैंड से प्रशासन ने थावे महोत्सव को राष्ट्रीय ख्याति दिलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा. पहली बार थावे में पश्चिमी संस्कृति की झलक को लोगों ने देखा. रॉक बैंड थावे के लिए आश्चर्य से कम नहीं था. थावे महोत्सव में रॉक बैंड को देखने के लिए लोगों में उत्साह जरूर था, लेकिन जब रात के 8.45 से शुरू हुआ, रॉक के कलाकार महात्मा गांधी के भजन पर थिरक उठे. कलाकारों की प्रस्तुति को देख दर्शकों का उत्साहित मन कुंठित होने लगा.
रॉक बैंड न तो गांधीजी के भजन पर खरा उतरा और न ही भारतीय संस्कृति पर. रॉक बैंड थावे के लोग समझ नहीं पा रहे थे. बाद में रॉक बैंड से ऊबे दर्शक वापस लौटने में ही भलाई समझे. हालांकि कार्यक्रम अपने निर्धारित अवधि रात के दस बजे के बाद तक चलता रहा. इस बीच दर्शक कम प्रशासनिक अधिकारी ज्यादा दिखे. हालांकि रॉक बैंड को लेकर पहले ही आशंका जतायी जा रही थी. भोजपुरी के नामचिन कलाकारों में भी इसकी कसक बनी हुई है. जिले के बड़े कलाकार इस महोत्सव से दूरी बनाये हुए थे.
थावे महोत्सव : रच गया इतिहास
गोपालगंज : जिले की विरासत थावे महोत्सव शनिवार की देर रात समाप्त हो गया. दो दिनों तक चले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एक से बढ़ कर एक गीत-संगीत और नृत्य की प्रस्तुति हुई. गौरतलब है कि थावे महोत्सव का आगाज वर्ष 2012 में हुआ था. इस वर्ष पांचवीं वर्षगांठ पर कई राज्यों से आये कलाकारों ने अपनी कला की प्रस्तुति की. देवी नगरी स्थित होमगार्ड का मैदान जो अब तक सभी महोत्सवों का गवाह बना, इस वर्ष एक स्वर्णिम इतिहास रच गया और भविष्य के लिए एक नई उम्मीदें जगा गया. कार्यक्रम का आगाज सूबे के कला एवं संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम ने किया,
तो समापन समारोह को सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने किया. इस बीच बॉलीवुड के शशि शेखर ने जहां अपनी प्रस्तुति दी, वहीं मुंबई की मशहूर नृत्यांगना गीतांजलि शर्मा भी मयूर नृत्य से लोगों को भावविह्वल किया. गरबा, गटका, छउ और बिहू नृत्य से कई राज्यों के पारंपरिक संस्कृति की झलक महोत्सव में दिखी. गीत- संगीत और मनोरंजन के बीच कलाकार हो या अधिकारी, सूबे के माननीय मंत्री हों या प्रतिनिधि,
इस वर्ष के महोत्सव में सबने एक ही उम्मीद जगायी और कल्पना के साथ संकल्प लिया कि महोत्सव को राष्ट्रीय ऊंचाई देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे. भले ही अपेक्षित भीड़ नहीं हुआ , लेकिन वास्तव में इस बार का महोत्सव सजे-संवरे भव्य मंच इतिहास रच गया.

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