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गांवों पर बाढ़ के खतरे से दहशत में लोग

भूकंप के खौफ से लोग अभी उबर भी नहीं पाये थे कि एक और प्राकृतिक आपदा की आशंका से लोग दहशत में हैं. गंडक नदी में बाढ़ के खतरे ने लोगों का चैन छिन लिया है. लोग पूरी रात जाग कर बिता रहे हैं. सारण और चंपारण प्रमंडलों में हाइ अलर्ट कर दिया गया है. […]

भूकंप के खौफ से लोग अभी उबर भी नहीं पाये थे कि एक और प्राकृतिक आपदा की आशंका से लोग दहशत में हैं. गंडक नदी में बाढ़ के खतरे ने लोगों का चैन छिन लिया है. लोग पूरी रात जाग कर बिता रहे हैं. सारण और चंपारण प्रमंडलों में हाइ अलर्ट कर दिया गया है. दियारा के लोग अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं. जल संसाधन विभाग के अभियंता तटबंधों पर कैंप कर रहे हैं.
गोपालगंज : भूस्खलन से नेपाल के म्याग्दी जिले के रामची गांव के समीप पहाड़ का बड़ा हिस्सा टूट कर नदी में गिरने से गंडक नदी से तबाही की आशंका है. सारण और चंपारण प्रमंडलों में हाइ अलर्ट कर दिया गया है. हाइ अलर्ट को देखते हुए गंडक नदी के तटवर्ती इलाके में रहनेवाले लाखों लोगों की रात की नींद और दिन की चैन छिन गयी है. गंडक नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है.
इससे लोगों की धड़कनें तेज हो गयी हैं. गंडक नदी के किनारे रहनेवाले ग्रामीण पूरी रात जग कर समय बिता रहे हैं. ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. पहली बार ग्रामीण मई में गंडक नदी की त्रसदी को ङोलने के लिए विवश हो रहे हैं.
पतहरा गांव गंडक नदी के तटबंध के किनारे बसा हुआ है. मंगलवार को लोग अपने-अपने घरों से सामान सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में लगे थे. गांव के कृष्ण सिंह बताते हैं कि जुलाई से अक्तूबर तक यहां विस्थापित की जिंदगी बितानी पड़ती है. इस बार मई में ही यह स्थित पैदा हो गयी है.
यही स्थिति सदर प्रखंड के सिहोरवां, मसान थाना, बरइपट्टी, नवादा, निरंजना, धूपसागर, कुचायकोट प्रखंड के काला मटिहिनिया, खेम मटिहिनिया, विशंभरपुर, राजापुर, फुलवरिया, खरगौली, सलेहपुर, भसही, भगवानपुर मांझा प्रखंड के बलुही, माघी, मंगुरहा, भैंसही, बरौली के सलेमपुर, बघवार समेत जिले के 165 गांवों की है.
टला नहीं अभी बाढ़ का खतरा : गंडक नदी में बाढ़ का खतरा अभी टला नहीं है. नेपाल से पानी ओवर फ्लो कर धीरे-धीरे बह रहा है. नेपाल के द्वारा अब बांध काटने की तैयारी की गयी है. बांध कटने के बाद सीधा असर गंडक नदी पर पड़ेगा. हालांकि वाल्मीकि नगर बराज को पूरी तरह से खोल दिया गया है. पानी आये तो किसी तरह की समस्या न हो, इसे ध्यान में रखते हुए सभी स्लुइस गेट को बंद करा दिया गया है. तटबंधों पर जल संसाधन विभाग के अभियंता कैंप कर रहे हैं.
8.5 लाख क्यूसेक जल स्तर की है क्षमता : गंडक नदी की क्षमता 8.5 लाख क्यूसेक है. इससे अधिक जल स्तर होने पर बाढ़ का खतरा हो सकता है. फिलहाल गंडक नदी का डिस्चार्ज 65 हजार क्यूसेक बताया गया है, जो नदी के पेट से बाहर नहीं निकल सकता है. 3.55 लाख क्यूसेक डिस्चार्ज बरसात के दिनों में 2014 में पार किया था. कहीं कोई खतरा नहीं हुआ. नदी में कटाव से सर्वाधिक क्षति होती है.
डरने की जरूरत नहीं : नेपाल में जहां भूस्खलन की घटना हुई है, वहां से 135 किमी दूर गोपालगंज का इलाका है. यहां तक आते-आते पानी का फैलाव होने से उसके बहाव की गति में कमी आ जायेगी. बाढ़ विशेषज्ञ मो हामिद ने बताया कि गंडक नदी 11 लाख क्यूसेक डिस्जार्च को बरदाश्त करने की क्षमता रखती है.

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