सासामुसा . स्वर्ग की कल्पना तो सभी करते हैं, लेकिन मनुष्य ठीक वैसे नहीं ढ़ूढ़ पता है जैसे पानी में रह कर भी मछली प्यासी होती है. स्वर्ग के लिए मंदिर और तीर्थ स्थल जाने की जरूरत नहीं, स्वर्ग तो माता-पिता के चरणों में है. अत: सभी माता-पिता की सेवा करो, स्वत: स्वर्ग की अनुभूति होगी. उक्त बातें श्रीदेवेश शास्त्री महाराज ने भागवत कथा के दौरान सिपाया में कहीं. भागवत का गुणगान करते हुए कहा कि मांस-मछली का सेवन मानव नहीं दानव करता है. आज समाज विकृतियों की दौरान से गुजर रहा है. भागवत कथा मंे पूरी रात हजारों नर-नारियों की भीड़ उमड़ी रही.
भागवत कथा में उमड़ रही भीड़
सासामुसा . स्वर्ग की कल्पना तो सभी करते हैं, लेकिन मनुष्य ठीक वैसे नहीं ढ़ूढ़ पता है जैसे पानी में रह कर भी मछली प्यासी होती है. स्वर्ग के लिए मंदिर और तीर्थ स्थल जाने की जरूरत नहीं, स्वर्ग तो माता-पिता के चरणों में है. अत: सभी माता-पिता की सेवा करो, स्वत: स्वर्ग की अनुभूति […]
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