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16 माह, 19 आवेदन, अनुशंसा एक
फाइलों में दम तोड़ रही अंतरजातीय विवाह योजना अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना लागू की गयी. इस योजना के माध्यम से अंतरजातीय विवाह करनेवाले दंपती को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करने का प्रावधान है. लेकिन, प्रशासन की उदासीनता की वजह से यह योजना फाइलों में […]
फाइलों में दम तोड़ रही अंतरजातीय विवाह योजना
अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना लागू की गयी. इस योजना के माध्यम से अंतरजातीय विवाह करनेवाले दंपती को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित करने का प्रावधान है. लेकिन, प्रशासन की उदासीनता की वजह से यह योजना फाइलों में ही दम तोड़ती दिखती है. हालात यह है कि 16 महीने में इस योजना का लाभ पाने के लिए कुल 19 आवेदन आये, जिनमें फकत एक की अनुशंसा हुई.
गोपालगंज : जिले में अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना फाइलों में दम तोड़ रही है. जानकारी के अभाव में लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस योजना में प्रशासन की उदासीनता भी कम नहीं है.
लोगों को जागरूक करने के लिए किसी तरह की न तो पहल की जाती है और न ही इसमें रुचि दिखायी जाती है. वर्ष 2014 में महज 17 लोगों ने अंतरजातीय विवाह किया. उन्होंने प्रोत्साहन अनुदान के लिए आवेदन भी दिये. कई आवेदन छंट गये. इन आवेदनों की जांच के लिए संबंधित प्रखंडों के बीडीओ को भेजा गया, जहां से सिर्फ कुचायकोट के बीडीओ ने एक आवेदन की अनुशंसा की है. वहीं, वर्ष 2015 में अब तक मात्र दो लोगों ने आवेदन दिये हैं.
पहले था 50 हजार, अब ढाई लाख : अंतरजातीय विवाह करनेवाले लड़का या लड़की को इनाम देने की पहल की गयी है. इसके लिए राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार ने नयी योजना बनायी है.
इसके तहत केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय की ऑटोनोमस बॉडी डॉ आंबेडकर प्रतिष्ठान अंतरजातीय विवाह करनेवाले जोड़े को ढाई लाख रुपये का इनाम देगा. साथ ही समारोह आयोजित कर उनको सम्मानित भी किया जायेगा. राज्य सरकार पहले से ही हर जोड़े को 50 हजार रुपये का प्रोत्साहन पुरस्कार देती है. लेकिन, जोड़े में एक का सामान्य जाति से और दूसरे का पिछड़ी जाति से होना जरूरी है.
प्रमाणपत्रों का है पेच : अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की राशि लेने के लिए सबसे अधिक पेच
प्रमाणपत्रों का है. आवेदक को जन्म प्रमाणपत्र, आवास प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, शादी निबंधन प्रमाणपत्र देना होता है. यह राशि लेने के लिए आवेदक को शादी के एक साल के भीतर आवेदन देना है. अधिकतर मामलों में प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण लोग लाभ से वंचित हो जाते हैं.
दो किस्तों में लाभ, डीएम करेंगे सम्मानित
राशि का लाभ दो किस्तों में दिया जायेगा. पहली किस्त के तौर पर सवा लाख रुपये मिलेंगे. इसके बाद सवा लाख की राशि वर-वधू के नाम से फिक्स डिपोजिट (एफडी) करायी जायेगी, जो उनको पांच साल बाद मिलेगी. ऐसे दंपती को समाज में स्थान मिले, इसके लिए डीएम को 25 हजार रुपये अतिरिक्त दिये जायेंगे, ताकि वे समारोह का आयोजन कर वर-वधू को सम्मानित कर सकें.
क्या है योजना
7 अगस्त, 2014 को मंत्री परिषद के निर्णय के आलोक में समाज कल्याण विभाग ने संशोधित अधिसूचना जारी की. इसमें अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन नियमावली 2014 के अंतर्गत समाज में जाति प्रथा समाप्त करने, दहेज प्रथा समाप्त करने, छुआछूत की भावना को मिटाने के लिए अंतरजातीय विवाह करनेवाली महिला को प्रोत्साहन के रूप में 50 हजार रुपये का अनुदान राशि देने का निर्णय लिया. यह राशि वधू के नाम फिक्स डिपोजिट की जाती है. तीन साल बाद वधू उसे ले सकती है.
ऐसे करें आवेदन
– शादी के एक साल के भीतर ही डॉ आंबेडकर प्रतिष्ठान में आवेदन कर सकेंगे
– उसके साथ वर-वधू का आवासीय, जाति व जन्म प्रमाणपत्र जमा करना होगा. साथ ही विवाह का निबंधन प्रमाण, संयुक्त फोटो व पहचानपत्र साथ जमा करें. स्थानीय सांसद, डीएम या विधायक द्वारा अनुशंसा प्राप्त आवेदन ही मान्य होंगे.
इनको मिलेगा लाभ
अंतरजातीय विवाह करनेवाली महिलाओं को आर्थिक दृष्टिकोण से सबल बनाने के लिए इस योजना को लागू किया गया है. इसमें विवाहित दंपती में कोई एक बिहार का निवासी हो, आदिवासी का गैर आदिवासी से विवाह अंतरजातीय विवाह माना जाता है. कोई भी ऐसी महिला, जिसने दूसरी जाति से शादी की हो. शादी के एक साल के भीतर इस लाभ के लिए आवेदन करना होगा.
जिला स्तर पर सहायक निदेशक बाल संरक्षण के यहां आवेदन देना होगा.
क्या कहते हैं अधिकारी
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना में आवंटित राशि खर्च नहीं हो पाती है. लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हैं. वे आवेदन करें, तो फंड की कमी नहीं होगी. राकेश कुमार, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर
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