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भगवान का शुक्र है कि बिल्डिंग नहीं गिरी

लाश के ढेर से निकल घर पहुंचा दिलीप-अब भी चेहरे पर कायम है भूकंप का भयावह मंजर-काठमांडो में करता था मार्केटिंग का काम फोटो नं-24संवाददाता, गोपालगंज 25 वर्षीय दिलीप के घरों मे बुधवार को तब खुशी छा गयी, जब वह काठमांडो से अपने घर पहुंचा. लेकिन, अब भी इस नौजवान के चेहरे पर भूकंप का […]

लाश के ढेर से निकल घर पहुंचा दिलीप-अब भी चेहरे पर कायम है भूकंप का भयावह मंजर-काठमांडो में करता था मार्केटिंग का काम फोटो नं-24संवाददाता, गोपालगंज 25 वर्षीय दिलीप के घरों मे बुधवार को तब खुशी छा गयी, जब वह काठमांडो से अपने घर पहुंचा. लेकिन, अब भी इस नौजवान के चेहरे पर भूकंप का भयावह मंजर कायम है. नगर पर्षद के हजियापुर के अर्जुन साह का बेटा दिलीप विगत डेढ़ वर्षों से काठमांडो के बंखु जगह पर रह कर मोटरसाइकिल पार्ट्स की मार्केटिंग का कार्य करता है. शनिवार की घटना का जिक्र करते हुए भय से उसका चेहरा लाल हो जाता है. उसने बताया कि वह अपने साथियों के साथ छह मंजिली बिल्डिंग पर कार्य कर रहा था, तभी अचानक बिल्डिंग हिलने लगी. भागने का कोई चारा नहीं था. बिल्डिंग गिर रही थी. भगवान का शुक्र था कि उसकी बिल्डिंग नहीं गिरी. चार मिनट बाद जब शांत हुआ, तो वे लोग भाग कर नीचे आये. नीचे हर तरफ चीख थी. उड़ता हुआ धूंध था और खून से लथपथ लोग तड़प रहे थे. उसने कहा, वहां लोग सड़कों पर शरण लिये हुए हैं. न खाने का ठिकाना है न पीने का. गांव-बस्ती की स्थिति और भयावह है. दस आदमी का भोजन सौ खा रहे हैं. उसने कहा कि वह लाशों के ढेर से निकल कर किसी तरह सोमवार को नारायणपुर के लिए रवाना हुआ. वहां पहुंचने में उसे दो हजार रुपये लगे. उसने बताया कि वहां पर हर तरफ दर्द -ही-दर्द है.

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