गुरुकुल से शुरू हुआ गुरु-शिष्य परंपरा का सफर आज सर और स्टूडेंट तक पहुंच गया है. आश्रम से इमारतों तक तथा गुरु से सर तक के सफर के लंबे अंतराल में बदलाव का दौर चलता रहा . आज शिक्षक दिवस पर प्रस्तुत है उन सेवानिवृत्त शिक्षकों के अनुभव, जो आज भी समाज में आदर्श शिक्षक के रूप में जाने जाते हैं. शिक्षक दिवस पर स्कूलों में कई कार्यक्रम होंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है.
<<प्रमोद तिवारी>>
गोपालगंज: बदलाव प्रकृति का नियम है, लेकिन चरित्र और कर्तव्य में जब बदलाव होता है समाज में विकृतियां पैदा होती है. वर्तमान की शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक में विकृतियों का दौर चल पड़ा है, जो शिक्षा और शिक्षक के बीच एक लंबी लक्ष्मण रेखा खींच दी है. ऐसे में शिक्षक दिवस महज एक औपचारिकता रह गयी है. ये उदगार है हाइ स्कूल से सेवानिवृत्त शिक्षक पं. रामेश्वर त्रिपाठी का. बातचीत में ये अपने गुजरे दिनों को याद कर बताते हैं कि एक जमाना था जब समर्पण की भावना हुआ करती थी. छात्र ही नहीं अभिभावक भी सम्मान की दृष्टि से देखते थे. शिक्षक की भी अपनी दिनचर्या थी. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सरकारी व्यवस्था पर इसकी सही नींव टिकी है. वर्तमान में इसका अभाव है. वर्तमान के शिक्षकों को संदेश देते हुए कहा कि शिक्षकों के चरित्र में ही समाज और राष्ट्र का निर्माण टिका है. समाज और व्यवस्था में आयी विकृति को दूर किया जा सकता है, लेकिन यदि शिक्षक में विकृति आयी तो वह कभी दूर नहीं होगा . इसलिए शिक्षकों को अपने चरित्र पर ध्यान देना चाहिए, जो उनकी बड़ी धरोहर है.
गुरु बने-शिष्य मिल जायेंगे: जलेश्वर नाथ
बरौली. गुरु बन कर तो देखिए शिष्य मिल जायेंगे .ये बात दिगर है कि कालांतर ने शिक्षकों के मूल्यों में भटकाव ला दिया है. फिर भी समाज में झांकने के पहले अपने आप को देखना होगा, क्योंकि शिक्षक संस्कृति और समाज को सींच कर एक सभ्य समाज का सृजन करता है . शिक्षक दिवस के पूर्व संध्या पर यह कथन है सेवानिवृत्त शिक्षक जलेश्वर नाथ तिवारी का ,जो कल भी शिक्षक थे और आज भी शिक्षक ही है. उन्होंने कहा कि शिक्षक के मायने बदले है और दोषी है. व्यवस्था वर्तमान में यह पेशा व्यवस्था बन गयी है. शिक्षक समाज का मेकर है .समाज में विकृतियां हैं तो शिक्षक उसे बदल देगा.
शिक्षक दिवस : यह कैसा सम्मान
गोपालगंज. कन्हैया पांडेय, हाइ स्कूल से सेवानिवृत्त शिक्षक हैं. क्षेत्र में इनकी बड़ी इज्जत है. हिंदी साहित्य के बड़े विद्वान है. आज भी लोग इनसे कुछ सिखने जाते हैं. कुचायकोट प्रखंड के खरगौली निवासी कन्हैया पांडेय के कर्तव्य परायणता की लोग आज भी मिसाल देते हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल पूर्णकालिक गुरु बने. एक बार शिक्षा का जो दान शुरू किया आज भी जारी है. शिक्षक दिवस पर पूछने पर वे दु:ख प्रकट करते हुए कहते हैं कि यह कैसा सम्मान है .गुरु से आज की व्यवस्था ने उन्हें नौकर बना दिया है.
काशीनाथ : सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी है शिक्षा का दान
कुचायकोट. गुरुजी जरा सवाल बना दीजिए .साइकिल रुकी और शुरू हो गये गुरुजी .सोते जागते राह चलते शिक्षा की बांते और सिखने सिखाने की धुन. यदि किसी नवयुवक में गलती दिखी तो वही डांट .ये हालात है श्री काशीनाथ पांडेय का, जिन्हें नियम के तहत सरकार ने सेवानिवृत्त तो शिक्षक के पद से कर दिया, लेकिन आज भी वे पूर्ण शिक्षक हैं. स्थानीय प्रखंड के अमवां गांव के श्रीकाशीनाथ पांडेय को वर्ष 1981 में राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया था . बात चाहे नौकरी काल की हो या सेवानिवृत्ति की .श्री पांडेय एक आदर्श शिक्षक थे और आज भी है और क्षेत्र के लोग इन्हें मिसाल देते है. दूसरे छात्र भी इन्हें आज भी डरते है और आदर करते हैं. शिक्षक दिवस पर उन्होंने कहा कि शिक्षक पूरे समाज का गुरु है.
आज के आधुनिक शिक्षा प्रणाली से शिष्यों को अवगत कराना बहुत जरूरी है, लेकिन भारतीय संस्कृति को कभी भूलने नहीं देना है. शिक्षकों को आज के माहौल में छात्र -छात्रओं को अपने मौलिक अधिकार और कर्तव्यों का पाठ अपनी परंपरा के अनुसार सिखाना अनिवार्य है. अत: छात्र- छात्रओं को ऐसी शिक्षा दी जाये, जिससे वे कुरीतियों से वंचित रहे .
अनिल कुमार श्रीवास्तव ,सचिव, जिला प्राइवेट स्कूल यूनियन ,गोपालगंज
शिक्षक स्वस्थ समाज क निर्माण में अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एक अच्छे शिक्षक के अंदर बच्चों को प्यार तथा सम्मान देने का बच्चों की बात सुनने तथा समझने का अपने विषय वस्तु का अद्यतन ज्ञान तथा ज्ञान को बांटने के दिलचस्प तरीके का गुण होना चाहिए.
अनुपम यूनस ,प्राचार्य ,ग्रेस स्कूल ,गोपालगंज
शिक्षा समाज के सर्वागीण विकास की धूरी है .इसलिए हमारे शिक्षक के बिना इसकी कल्पना अधूरी है. खास कर यह दिन हम सभी शिक्षकों को अपने कर्तव्य पथ पर सच्चे मन से डटे रहने का संदेश देता है.
मिश्रनंद आर्य, प्राचार्य, डीएसवी इंटर हाइस्कूल ,गोपालगंज
डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन के विचारोंे और बताये गये उपदेशों से प्रभावित होकर उनके जन्म दिवस के रूप में यह त्योहार उनको समर्पित हैं. शिक्षक दिवस शिक्षकों को उनके नैतिक मूल्यों आदर्शो और भारत की उन प्राचीन परंपराओं की याद दिलाता है .
विजय कुमार दूबे, प्राचार्य ,हरिशंकर सिंह, पब्लिक स्कूल, गोपालगंज
देश के निर्माण में छात्रों की एवं छात्रों के निर्माण में शिक्षक की मुख्य भूमिका है, परंतु दिन -प्रतिदिन शिक्षकों की गिरती गरिमा चिंता का विषय है. आज पुन: उसी गुरु शिष्य परंपरा की जरूरत है, जिससे देश को अनेक राम -कृष्ण एवं गांधी मिले.
राजेश कुमार गुप्ता, प्राचार्य, ज्ञान भारती ,गोपालगंज
बच्चों के लिए तुम पढ़ोगे तब बढ़ोगे तब विजय सीढ़ी चढ़ोगे . मंजिले मझधार जब आती तुम्हारे सामने ज्ञान की पतवार ही आती तुम्हें थमने अज्ञानता की ढाल से कब तक निहत्थे तुम लड़ोगे तुम पढ़ोगे तब बढ़ोगे. तब विजय सीढ़ी चढ़ोगे.
जितेंद्र प्रसाद , निदेशक ,सीबीएसइ पब्लिक स्कूल, गोपालगंज
आज के परिवर्तनशील सामाजिक परिदृश्य में शिक्षकों के कंधे पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है .
इस देश के विकास की कल्पना शिक्षा के बगैर नहीं की जा सकती है. हम सभी शिक्षकों को अपने दायित्वों का पालन करते हुए इस देश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए.
अमोद कुमार चौबे, शिक्षक डीएवी पब्लिक स्कूल, थावे
शिक्षक कर्तव्य काफी ऊंचा है. वह अपने शिष्यों को हमेशा अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है. उसकी नजर में सभी छात्र एक समान है . छात्र शिक्षकों के गुणों का ही अपने जीवन में अनुसरण करते हैं.
रविंद्र कुमार , शिक्षक डीएवी इंटर हाई स्कूल गोपालगंज
यदि एक शिक्षक या शिक्षा का बेहतर बोध हो तो व्यक्ति का स्तर इतना उच्च हो सकता है कि वह देश क्या विदेश तक अपनी पहचान बना सकता है. अत: शिक्षा और शिक्षक का एक मात्र उद्देश्य एक व्यक्ति का उसके व्यक्तित्व से परिचय करना है.
नवीन श्रीवास्तव ,शिक्षक शताक्षी सिविल सर्विसेज ,गोपालगंज
शिक्षक का छात्र के प्रति और छात्र का शिक्षक के प्रति जो दायित्व हो उसे वे निर्वहन करें.
अच्छी शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण का भी ज्ञान दिया जाये. सदियों से चली आ रही गुरु शिष्य की गरिमा को बरकरार रखने हर संभव प्रयास हो.
सेंट अन्ना मैरी ,प्राचार्या, निर्मला कैथोलिक स्कूल, गोपालगंज