:: मांझा प्रखंड :: फोटो न. 8 विनोद कुमार, बीडीओ संवाददाता. मांझा मांझा प्रखंड में आग बुझाने के लिए कोई व्यवस्था प्रशासन के पास नहीं है. आग लगने की स्थिति में प्राकृतिक व्यवस्था पर प्रशासन निर्भर है. जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित प्रखंड मुख्यालय में मिनी अग्निशामक गाड़ी तक नहीं है. जबकि गरमी के मौसम में पछुआ हवा के बहने पर हर माह सैकड़ों घर आग की भेंट चढ़ जाते हैं. प्रशासन आग लगने के बाद पीडि़तों को राहत के नाम पर पॉलिथिन और 42 सौ रुपये मुहैया करा कर अपना पल्ला झाड़ लेता है. आग लगने पर गरीबों के अरमान और सालों भर की कमाई खाक हो जाते हैं. प्रशासन को आग पर काबू पाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था प्रखंड मुख्यालय में भी करनी चाहिए. ताकि, आग लगने पर तत्काल उस पर काबू पाया जा सके. गंडक नदी के दियारा इलाका से सटा प्रखंड होने के कारण अबतक दर्जन भर घर आग की भेंट चढ़ चुके हैं. बोले जिम्मेदार ”आग लगने पर मुख्यालय से दमकल की गाडि़यां बुलायी जाती हैं. वैकल्पिक तौर पर आग पर काबू पाने के लिए व्यवस्था की जा रही है. पीडि़त परिजनों को आग लगने पर राहत सामग्री के रूप में मिलने वाली सारी सुविधाएं मुहैया करायी जाती हंै.”विनोद कुमार, बीडीओ, मांझा
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प्राकृतिक व्यवस्था पर निर्भर है प्रशासन-संपा
:: मांझा प्रखंड :: फोटो न. 8 विनोद कुमार, बीडीओ संवाददाता. मांझा मांझा प्रखंड में आग बुझाने के लिए कोई व्यवस्था प्रशासन के पास नहीं है. आग लगने की स्थिति में प्राकृतिक व्यवस्था पर प्रशासन निर्भर है. जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित प्रखंड मुख्यालय में मिनी अग्निशामक गाड़ी तक नहीं है. जबकि […]
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