।। संजय कुमार अभय ।।
गोपालगंज : अगस्त क्रांति ने देश को आजाद करने में अहम भूमिका निभायी. अगस्त क्रांति की बिगुल बज चुकी थी. इस क्रांति में अहम भूमिका कैथवलिया गांव की थी. कैथवलिया गांव में स्थित सती आश्रम में बैठ कर महात्मा गांधी ने जिले के युवाओं को संकल्प दिलाया.
आजादी के दीवाने सैकड़ों की संख्या में युवा नमक सत्याग्रह आंदोलन में बढ़ –चढ़ कर हिस्सा लिये. बता दें कि कररियां गांव के झूलन राय ,के नेतृत्व में कमला राय , कैथवलिया के ठग सिंह ,मैनेजर सिंह ,शिवपूजन सिंह , बाबूलाल साह , खेदन साह ,जलेश्वर सिंह, भितभेरवां के कमला सिंह , मानिकपुर के जलेश्वर गिरि ,महेंद्र सिंह उर्फ झाडू दास ,पुरानी चौक के दीनानाथ आर्य ,रामश्रृगारी भगत , बैकुंठपुर के शिवपूजन त्रिवेदी , कुचायकोट के सत्यदेव शुक्ल आदि के नेतृत्व में अलग– अलग गुट में आजादी के दीवाने अंगरेजी सेना को नाको चना चबाने पर विवश कर दिया.
कैथवलिया का सती आश्रम से नमक सत्याग्रह आंदोलन का पूरे जिले में बिगुल फूंकी गयी. इतना ही नहीं महात्मा गांधी ने यहां खादी ग्रामोद्योग का गठन कर गांव –गांव में स्वदेशी अपनाओ नारे के साथ महिलाओं को सूत कातने के लिए प्रेरित किया और खुद वस्त्र बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाने लगा.
भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नमक सत्याग्रह आंदोलन और खादी को हथियार बनाया गया. इतना ही नहीं गोपालगंज थाना, रेलवे स्टेशन ,अनुमंडल कार्यालय को एक साथ आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें इन्हें जेल भी जाना पड़ा. खादी के आंदोलन ने रंग लाया. अंगरेजों की आर्थिक नीतियां विफल होने लगी.
हर तरफ उपद्रव और आगजनी को देख अंगरेजी सेना हिम्मत हारने लगी, लेकिन इन आजादी के दीवानों ने तमाम यातनाओं के सहने के बाद भी देश की आजादी को आज के दिन ही लिया था. भारत आजाद होने की घोषणा होते ही इनके और इनके सगे– संबंधियों के चेहरे खिल उठे थे. हालांकि कांग्रेस के नेतृत्व में झुलन राय, कमलाराय, सत्यदेव शुक्ल, शिवपूजन त्रिवेदी आदि लोग विधायक बन कर नेतृत्व किया.