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बाबा के अंतिम दर्शन को भदसी वन में उमड़ा जन सैलाब

फोटो 22बाबा बालक दास का किया गया अंतिम संस्कार कुष्ठरोगियों के लिए बाबा ने बनाया था उपचार केंद्र भोरेशुक्रवार की सुबह कड़ाके क ी ठंड के बाद भी बड़ी संख्या में भक्तांे का सैलाब भदसी वन में जुट गये. हर रास्ता लोगों से पटा हुआ था. सबकी एक ही इच्छा थी कि बाबा का अंतिम […]

फोटो 22बाबा बालक दास का किया गया अंतिम संस्कार कुष्ठरोगियों के लिए बाबा ने बनाया था उपचार केंद्र भोरेशुक्रवार की सुबह कड़ाके क ी ठंड के बाद भी बड़ी संख्या में भक्तांे का सैलाब भदसी वन में जुट गये. हर रास्ता लोगों से पटा हुआ था. सबकी एक ही इच्छा थी कि बाबा का अंतिम दर्शन कर लें. भीड़ में स्थानीय लोगों के साथ उत्तर प्रदेश एवं बिहार के दूर-दराज से आये हुए लोग भी थे. बाबा बालक दास को उनके शिष्यों ने जब समाधि में उतारनी शुरू की, तो सबकी आंखें भर आयीं. फिर भी लोग जोर-जोर से जयकारा लगा रहे थे. बताते चलें कि गुरुवार क ो भदसी वन के संत बालक दास का निधन हो गया था. शुक्रवार को उनके अंतिम संस्कार के लिए बड़ी संख्या में लोग भदसी वन पहुंचे थे. बालक दास 1969 में इस क्षेत्र में पहली बार आये थे और भदसी वन की ऐतिहासिक भूमि पर अपना आश्रम बनाया. इसके बाद से लोग बाबा के पास अपनी पीड़ा लेकर आते और बाबा वन के ही किसी वनौषधि देकर उसे ठीक कर देते थे. क्षेत्र में लोग उन्हें औघड़ बाबा के नाम से जानते थे. बाबा ने वन क्षेत्र में ही कुष्ठ रोगियों के लिए एक आश्रम बना रखे थे, जहां उनके उपचार के साथ-साथ उनकी सेवा भी करते थे. सैकड़ों कुष्ठ रोगी बाबा के उपचार से ठीक हुए. 10 एकड़ में फैले भदसी वन बाबा के कारण एक मनोरम स्थल बन गया है, जहां आज आधा दर्जन से अधिक मंदिर है. बाबा की मृत्यु के बाद सबके मन में एक ही प्रश्न उठ रहा है कि बाबा के बाद इस स्थान का क्या होगा. सबसे आश्चर्यजनक स्थिति आश्रम के उस हाथी की है, जिसकी आंखों से आंसू निकल रहा है. कुछ खाया-पीया भी नहीं. वन में पहुंची भीड़ को संभालने के लिए बाबा के भक्तों के साथ प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को भी सक्रिय देखा गया.

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