गोपालगंज : दिन के 11.30 बजे हैं कुछ छात्राएं बरामदे में बैठी बातचीत में मशगूल है . वहीं, कुछ परीक्षा का प्रोग्राम जानने आयी हैं. कुछ स्टाफ भी बाहर बैठ कर धूप का आनंद ले रहे हैं. दो -तीन छात्राएं एक शिक्षक से पूछती हैं. सर क्लास चलेगा. जवाब मिलता है -नहीं. ये हालत है जिला के एक मात्र महिला डिग्री कॉलेज की. जहां न पढ़ाई की व्यवस्था है और न छात्राओं को लाभकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है.
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चार शिक्षकों के सहारे इंटर से पीजी तक पढ़ाई
गोपालगंज : दिन के 11.30 बजे हैं कुछ छात्राएं बरामदे में बैठी बातचीत में मशगूल है . वहीं, कुछ परीक्षा का प्रोग्राम जानने आयी हैं. कुछ स्टाफ भी बाहर बैठ कर धूप का आनंद ले रहे हैं. दो -तीन छात्राएं एक शिक्षक से पूछती हैं. सर क्लास चलेगा. जवाब मिलता है -नहीं. ये हालत है […]
यहां छात्राएं प्रतिदिन आती हैं और पुन: वापस चली जाती हैं. वर्ग न चलने का छात्राओं में दर्द है. प्राचार्या को लेकर चार शिक्षकों के सहारे इंटर से लेकर पीजी तक वर्ग है. अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पढ़ाई की स्थिति क्या होगी. इस कॉलेज में विश्वविद्यालय की उदासीनता में आधी आबादी के प्रतिभा को कुंठित कर दिया है वहीं पोशाक छात्रवृत्ति जैसे योजनाओं पर स्कूल प्रशासन की मनमानी है.
छात्राओं के बीच में न ज्ञान बांटी जाती है न लाभकारी राशि यहां इंटर में साइंस और आर्ट की पढ़ाई होती है. स्नातक और पीजी केवल कला के लिए है. यहां विज्ञान में कोई भी स्थायी शिक्षक नहीं है. ऐसे में छात्राओं की पढ़ाई नामांकन और परीक्षा तक सिमट कर रह गयी हैं. अब जरा सोचा जाये कि विकास की दौर में क्या इस व्यवस्था से आधी आबादी में ज्ञान की ज्योति जल पायेगी .
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