ठोकर लगने से मनुष्य का होता है मस्तिष्क विकास कैंपस पेजसंवाददाता, हथुआफोटो 13मनुष्य के अंदर अगर सीखने की कला जागृत हो तो कोई भी व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है. मनुष्य को ठोकर लगने पर ही उसकी मस्तिष्क का विकास होता है. क्योंकि ठोकर के बाद मनुष्य संभल जाता है. उक्त बातें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के योगेश हैरी ने इंपीरियल पब्लिक स्कूल हथुआ में छात्रों एवं शिक्षकों के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में कही. उन्होंने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें शिक्षा को मानव एवं मानवता के लिए उपयोगी बनाने के लिए आवश्यकता है. वर्तमान शिक्षण प्रणाली पर कटास करते हुए श्री हैरी ने बताया कि हमें हंस बना रहे है. सिर्फ इसलिए कि हंस थोडा उड सकता है, थोडा तैर सकता है और चल सकता है. आनेवाले समय में विशेषज्ञ ही सफलता की सीमाओं को पार कर सकते है. इन सबके लिए जीवन मूल्यों एवं कार्य कुशलता को बढावा देने की आवश्यकता है. मस्तिष्क बढाने में बादाम आपकी सहायता नहीं कर सकता है. क्योंकि उससे मिलने वाले पौष्टिक तत्व तो रक्त में ही विलीन हो जाते है. आपके मस्तिष्क का टॉनिक तो वे ठोकरें है जो आपके आपकी असफलता को याद दिलाती है. और मनुष्य को सतत प्रयास के लिए प्रेरित करती है. साथ ही उन्होंने कौशल, पहचान, ढर्रे से हटकर सोच आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया. मौके पर इंपीरियल स्कूल ग्रुप के रेजीडेंट डायरेक्टर संजय कुंवर आदि थे.
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मस्तिष्क विकास पर दो दिवसीय कार्यशाला
ठोकर लगने से मनुष्य का होता है मस्तिष्क विकास कैंपस पेजसंवाददाता, हथुआफोटो 13मनुष्य के अंदर अगर सीखने की कला जागृत हो तो कोई भी व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है. मनुष्य को ठोकर लगने पर ही उसकी मस्तिष्क का विकास होता है. क्योंकि ठोकर के बाद मनुष्य संभल जाता है. उक्त बातें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ […]
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