गोपालगंज : 25 जून, 1975 की मध्यरात्रि को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं. अंगरेजी हुकूमत से भी ज्यादा बुरा बरताव देश की पुलिस जेल जानेवालों के साथ कर रही थी. जेल में तमाम तरह की यातनाएं दी जा रही थीं.
परिवारवालों को भी माह में एक बार मिलने की अनुमति थी. किसी अपराधी से भी बदतर लोगों का हाल था. इमरजेंसी में लगभग 800 लोग जेल गये थे. 1975 से 1977 तक चली इमरजेंसी के दौरान देश में भय का वातावरण बना हुआ था. हर किसी को जेल जाने का डर सता रहा था. लोग जेल में थे और परजिन बाहर यातनाएं सह रहे थे. समाज के लोग भी डर के कारण सहायता नहीं कर पा रहे थे.
किसी के घर की बिजली काट दी गयी, तो बीमार होने पर डॉक्टर भी देखने से मना कर देते थे. पुलिस वाले लाठियों की बौछार कर रहे थे. रात में कफ्यरू जैसा माहौल हो जाता था. 12 जून को हाइकोर्ट का निर्णय स्व इंदिरा गांधी के खिलाफ आया था. उन्होंने लोकसभा में संशोधन विधेयक रख कर लोकसभा का कार्यकाल पांच साल से छह साल कर इमरजेंसी लागू कर दी और आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. 14-15 साल तक के बच्चे जेल में डाल दिये गये.
किसी के नाखून उखाड़ दिये थे, तो किसी के बाल. प्रभात खबर ने इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन करनेवाले आंदोलनकारियों से उनके दर्द को टटोला तो चौंकाने वाली बात सामने आयी.
* सत्याग्रह आंदोलन मौनिया चौक पर चल रहा था. तभी मैं भाषण दे रहा था. इतने में पुलिस पहुंची और मुझे गिरफ्तार कर लिया गया. इससे पहले 1974 के छात्र आंदोलन में मुझे गिरफ्तार किया गया था. जेल से निकलने के वाद जैसे ही पता चला कि जेपी, मोरारजी देशाई, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है तो हम लोगों ने शहर में इमरजेंसी के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन आरंभ कर दिया. सत्याग्रह आंदोलन में जितने लोग शामिल थे, सबको गिरफ्तार किया गया था. उस इमरजेंसी की रात को याद कर आज भी मेरा रूह कांप उठता है.
राम प्रवेश राय, जेपी आंदोलनकारी, पूर्व पर्यटन मंत्री, भाजपा
* मीरगंज में इमरजेंसी के दौरान सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया गया था. छात्रों का आंदोलन पूरे बिहार में सरकार के खिलाफ था. मुझे नहीं पता था कि सरकार के खिलाफ जो हम कर रहे हैं, इसके लिए जेल जाना होगा. मीरगंज में छात्र आंदोलन का नेतृत्व करने तथा सरकारी कार्यो में बाधा डालने, उत्पात मचाने जैसे संगीन आरोप लगा कर मुझे गिरफ्तार किया गया था. जेपी आंदोलन के दौरान जेल जाने के कारण मेरे परिवार के लोग भी मुझ पर कम नाराज नहीं थे. लेकिन आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी.
राजेंद्र प्रसाद, क्रांतिकारी जेपी आंदोलन, वरिष्ठ पत्रकार
* क्या कहते हैं आंदोलनकारी
18 मार्च, 1974 को छात्र आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी. गोपालगंज में डीएम एमएच मजूमदार आ चुके थे. छात्र आंदोलन का का नेतृत्व खुद मैं कर रहा था. छात्रों ने 19 मार्च को डीएम प्रकोष्ठ में आग लगा दी. गर्ल्स हाइस्कूल जला दी गयी. गोपालगंज ब्लॉक स्टेशन में आग लगा दी गयी. पूरे बिहार में छात्र आंदोलन उग्र हो गया था. पहली बार 21 मार्च को मुझे गिरफ्तार किया गया. हम लोगों पर मीसा लगा कर छपरा जेल भेज दिया गया. बिहार में पहली बार मीसा का कानून का प्रयोग हुआ. हमारे साथ मुकुल प्रसाद, बच्चा सिंह बचनेश, लालू प्रसाद समेत कई लोग जेल में थे. अंगरेजों से भी बदतर हमलोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था. वह दिन याद कर आज भी हम कांप उठते हैं.
हरिनारायण सिंह, क्रांतिकारी, जेपी आंदोलन, पूर्व भाजपा अध्यक्ष
* मैं जनसंघ का अध्यक्ष था तथा जिला संघर्ष समिति का संयोजक था. जैसे ही जेपी पर लाठी बरसी. उससे पहले गोपालगंज की कलेक्टेरियट जल चुका था. जगह -जगह आग लगायी गयी थी. मुझ पर भाषण देकर लोगों को उकसाने का आरोप लगा कर गिरफ्तार किया गया तथा मीसा कानून के तहत जेल भेज दिया गया. पुलिस को इस बात की आशंका थी कि मेरे इशारे पर रेलवे लाइन को उखाड़ा जा सकता है. प्रदेश की शांति व्यवस्था भंग हो सकती है. चारों तरफ उपद्रव के लिए मुझे ही जिम्मेदार ठहराया गया था. छपरा जेल में अमानवीय उत्पीड़न झेलना पड़ा था.
प्रसिद्ध नारायण मिश्र, जेपी आंदोलनकारी, वरिष्ठ अधिवक्ता, गोपालगंज