– अवधेश कुमार राजन –
गोपालगंज : सदर अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में पहले भी कई मरीजों की मौत हो चुकी है. दो नवजात बच्चों की मौत अस्पताल के संवेदना को फिर से झकझोर कर रख दिया है. ऑक्सीजन के अभाव में नवजात की मौत से अस्पताल की व्यवस्था की कलई खुल कर सामने आ गयी है.
एक ही ऑक्सीजन की सिलिंडर से दो- दो मरीजों को ऑक्सीजन पिछले कई महीनों से दिया जा रहा था. ऐसे में सिधवलिया के मंगोलपुर के रहनेवाले 60 वर्षीय वृद्ध की मौत के बाद पिछले ही वर्ष अस्पताल में हंगामा हुआ था. हालांकि प्रभात खबर एक सिलिंडर से दो मरीजों को ऑक्सीजन दिये जाने का खुलासा किया था. इसके बाद भी ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं की जा सकी. नतीजा हुआ कि एक ही साथ दो नवजात बच्चों की मौत ऑक्सीजन के अभाव में हो गयी .अब इस कांड की जांच पुलिस को करनी है. नवजात बच्चों का पोस्टमार्टम नहीं होने से पुलिस के द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी प्रभावहीन बन सकती है.
तड़पते रहे मरीज
सदर अस्पताल में तोड़फोड़ के बाद मरीज दर्द से चिल्लाते रह गये . दहशत के कारण डॉक्टर इलाज करने वार्ड में नहीं जा रहे थे . खास कर इमरजेंसी में भरती किये जानेवाले मरीजों की जान सांसत में पड़ी हुई थी. तीन घंटे तक जीवन और मौत से मरीज जूझते रहे. बाद में अंचल पदाधिकारी उमेश नारायण पर्वत के काफी प्रयास के बाद पुलिस की सुरक्षा में इलाज आरंभ हो सका.
तिरबिरवां की रोजी खातून पेट की दर्द से कराह रही थी . घंटों उसके परिजन परेशान रहे. बड़ी मुश्किल के बाद उसका इलाज आरंभ हो सका . इमरजेंसी में भरती दो दर्जन से अधिक मरीजों की हालत खराब थी. किसी तरह इलाज शुरू होने के बाद इनकी जान बचायी जा सकी .
तड़पता रहा जख्मी
कुचायकोट थाना क्षेत्र के सासामुसा के पास जजर्र इस्ट एंड वेस्ट कॉरीडोर एनएच 28 पर बाइक दुर्घटना में घायल राजन कुमार को इलाज के लिए रात के 10 बजे सदर अस्पताल लाया गया . वह खून से लथपथ था . दर्द से कराह रहा था. तड़प के कारण उसके परिजन भी परेशान थे. न तो कोई डॉक्टर और न कोई कर्मी प्राथमिकी उपचार के लिए सामने आ रहा था . सभी में दहशत का माहौल था. स्थिति यह थी कि जब पुलिस के अधिकारियों ने अपनी सुरक्षा में लेकर इलाज शुरू कराया गया.
बच्चे की मौत के बाद मां की हालत खराब
सदर अस्पताल का परिसर.
दो नवजात की मौत के बाद हंगामा. तोड़फोड़ उग्र लोगों पर काबू पाने के लिए प्रयासरत प्रशासन .यहां दोनों नवजात की मौत से आम लोग हतप्रभ थे . दरअसल सिधवलिया थाना क्षेत्र के रहनेवाले सुनील पटेल की पत्नी भागमनी देवी को बड़ी मुश्किल के बाद औलाद प्राप्त हुआ था.
पहला संतान बेटा हुआ.चंद घंटे तक ही संतान की सुख भागमनी को प्राप्त हो सका . यह ईश्वर की लीला कहें या सदर अस्पताल की व्यवस्था का दोष . ऑक्सीजन की कमी ने फिर भागमनी की गोद को सुना कर दिया . 10 वर्षो तक गोद भरने की लोभ में भागमनी दर- दर की ठोकर खाती रही. पूरे परिवार में मातम छाया हुआ था .भागमनी बार- बार बेहोश हो जा रही थी .
नवजात की मौत ने मां को किया पागल
सदर अस्पताल में दूसरे नवजात की मौत बसडीला की शिल्पी देवी का दूसरा संतान था . शिल्पी अपने बच्चे की मौत से पागल हो चुकी थी. उसे नहीं पता था कि अस्पताल जहां लोगों को जीवन दान मिलता है वहीं अस्पताल उसके गोद को सुना कर देगा. शिल्पी अपने पति रमेश के साथ बार-बार मुकदमा करने की बात कह रही थी.
शिल्पी इसके लिए सिविल सजर्न पर एफआइआर दर्ज कराने पर अड़ी हुई थी. इसकी हालात को देख प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई आरंभ की है. पुलिस मामले की जांच मे जुटी हुई है. सभी इस घटना से काफी दुखी हैं.
घटना पर प्रशासन गंभीर
सदर अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में हुई एक साथ दो नवजात बच्चों की मौत को गंभीरता से लेते हुए डीएम कृष्ण मोहन ने पूरे मामले में जांच कराने का फैसला किया है. यह घटना प्रशासन के लिए काफी दु:खद है. हालांकि अस्पताल प्रशासन के लिए कोई नयी बात नहीं है.
इस बार भी तोड़फोड़ की घटना का आकलन सदर अस्पताल प्रशासन कर रहा है . उधर जिलाधिकारी ने किस परिस्थिति में ऑक्सीजन की कमी हुई . दवाओं के भंडार की क्या स्थिति है. जीवन रक्षक दवाओं की पूरी जानकारी तलब किया है, ताकि दुबारा इस तरह की घटना न हो सके. साथ ही अनुमंडल पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि हर दिन अस्पताल की व्यवस्था की जांच कर रिपोर्ट करें.