खाड़,तालाब पर बन गयीं बिल्डिंग, सड़क बनी नाला

गोपालगंज : बरौली प्रखंड के बढ़ेयां स्थित सीवान सरफरा रोड पर पानी जमा है. कभी यहां गड्ढा और बड़ा पुल हुआ करता था.अब न पुल है और गड्ढा. पानी जाये तो कहां.गांव का पानी गांव में डंप कर रहा है. यह एक महज बानगी है. जिले के कम-से-कम ढाई सौ ऐसे गांव हैं, जो बारिश […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 22, 2017 9:49 AM
गोपालगंज : बरौली प्रखंड के बढ़ेयां स्थित सीवान सरफरा रोड पर पानी जमा है. कभी यहां गड्ढा और बड़ा पुल हुआ करता था.अब न पुल है और गड्ढा. पानी जाये तो कहां.गांव का पानी गांव में डंप कर रहा है. यह एक महज बानगी है. जिले के कम-से-कम ढाई सौ ऐसे गांव हैं, जो बारिश के बाद जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं. बारिश होते ही इन गांवों में हाय-तोबा मच रही है. ठीक एक दशक पहले यह समस्या नाम मात्र की थी.
जरूरत बढ़ती गयी और जमीन पर लोगों का कब्जा होने लगा. किसी ने घर बना लिया, तो किसी ने बथान. गड्ढे और नाले भर दिये गये. आम गैरमजरूआ और सरकारी जमीन पर लोगों का कब्जा हो गया. इस दौर में निजी जमीन वालों ने भी अपने द्वार को सड़क से ऊंचा कर लिया. इस खेल में सड़कें नाला बन गयी हैं. पानी के निकलने के रास्ते बंद होने लगे हैं और खेल जारी है.ऐसे में आनेवाले दिन में बारिश होते ही गांवों का जल मग्न होना तय है.सवाल उठता है कि इसके लिए दोषी कौन है.
न किसी ने जरूरत समझी न किसी ने जिम्मेवारी : इस समस्या को ग्रामीणों ने भी पूरी तरह नजर अंदाज किया है.वहीं प्रशासन की ओर से भी जमीन सेटलमेंट का खेल जारी रहा. उन लोगों को भी जमीन सेटल कर दी गयी, जो कहीं से इसके हकदार नहीं थे.
इसके अलावा होने वाले दुष्परिणाम का भी ख्याल नहीं रखा गया. विगत पांच वर्षों में 100 एकड़ से अधिक सरकारी भूमि का सेटलमेंट किया गया है.यह भी सच्चाई है कि आखिर कार समस्या के निदान के लिए ग्रामीण प्रशासन का ही दरवाजा खटखटायेंगे. ऐसे में समस्या का निदान कठिन होगा. फिलहाल इस बारिश में यह समस्या अपना रंग दिखा रही है.

Next Article

Exit mobile version