बिहार में श्मशान घाट पर नहीं होगा प्रदूषण, धुएं को किया जायेगा फिल्टर

विष्णुपद स्थित श्मशान घाट में मशीन से शवदाह की व्यवस्था की जा रही है. मशीन को लगाने के दौरान आसपास के पौराणिक धरोहरों को किसी प्रकार का खतरा नहीं हो, इसका ख्याल हर स्तर पर रखने की बात कही जा रही है.

By Prabhat Khabar | February 8, 2021 1:37 PM

गया. विष्णुपद स्थित श्मशान घाट में मशीन से शवदाह की व्यवस्था की जा रही है. मशीन को लगाने के दौरान आसपास के पौराणिक धरोहरों को किसी प्रकार का खतरा नहीं हो, इसका ख्याल हर स्तर पर रखने की बात कही जा रही है.

मशीन से शवदाह के बाद निकलनेवाला धुआं पूरी तौर से प्रदूषणमुक्त रखने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए अलग से मशीन भी शवदाह मशीन में ही लगायी जा रही है. मशीन पूरी तरह से आधुनिक लकड़ी आधारित शवदाह की प्रक्रिया को पूरी करती है.

मशीन से अंतिम संकार के दौरान हिंदू समाज के लोग सारी धार्मिक प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे. इसमें अंतिम संस्कार के समय रीति-रिवाज के अनुसार चिता सजाना, मुखाग्नि, कपाल क्रिया सहित अन्य परंपरा को पूरा करवाया जायेगा.

दाह संस्कार के बाद पूजन व पवित्र नदियों में प्रवाहित करने के लिए अस्थियां भी एकत्र कर सौंपी जायेगी. अब तक यहां अंतिम संस्कार करने में तीन से चार क्विंटल लकड़ी लगता है. करीब दो घंटे तक चिता से धुआं भी निकलता है. हर दिन यहां एक दर्जन से अधिक ही शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. इस प्रक्रिया से पर्यावरण को काफी हानि पहुंचती है.

मशीन में एक क्विंटल लकड़ी व एक घंटे में अंतिम संस्कार हो जायेगा. शवदाह के समय निकलने वाले धुएं को फिल्टर कर चिमनी के जरिए ऊपर छोड़ा जायेगा. अासपास का इलाका पूरी तौर से प्रदूषण मुक्त होगा. मशीन के चालू होने के बाद अंतिम संस्कार में लोगों को आर्थिक रूप से भी राहत मिलेगी.

परिसर में कई जगहों पर दिखने लगा है बदलाव

श्मशान घाट परिसर में बड़ा सा वेटिंग हॉल बनाया जा रहा है. इसका लगभग निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है. हॉल को पूरी तौर वातानुकूलित किया जाना है. अब तक गुमटी या फिर खुले में दुकान लगाकर दाह-संस्कार की सामग्री को बेची जाती थी.

इन दुकानदारों की पक्की दुकानें बनायी जा चुके हैं. वेटिंग हॉल की बगल में पार्क को विकसित किया जा रहा है. श्मशान घाट में मशीन लगाने, वेटिंग हॉल बनाने, दुकानों के निर्माण व पार्क को विकसित करने में छह करोड़ रुपये निगम से खर्च किये जा रहे हैं.

Posted by Ashish Jha

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