पितृपक्ष से पहले पूरा हो जायेगा बिहार के पहले रबर डैम का निर्माण, बोले संजय झा- बन रही गाद प्रबंधन नीति

विष्णुपद मंदिर के पास बिहार के पहले रबर डैम का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है. इससे मंदिर के पास गर्मियों में भी फल्गु नदी का कम-से-कम दो फुट जल उपलब्ध रहेगा. रबर डैम के ऊपर फुट ओवर ब्रिज और साथ में घाट आदि का भी निर्माण कराया जा रहा है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 25, 2022 9:31 PM

पटना. जल संसाधन व सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि गया के विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के पास फल्गु नदी में सतही जल का प्रवाह मॉनसून अवधि को छोड़ कर प्रायः नगण्य रहता है. इससे तर्पण एवं पिंडदान के लिए गया आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होती है. इसके निदान के लिए विष्णुपद मंदिर के पास बिहार के पहले रबर डैम का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है. इससे मंदिर के पास गर्मियों में भी फल्गु नदी का कम-से-कम दो फुट जल उपलब्ध रहेगा. रबर डैम के ऊपर फुट ओवर ब्रिज और साथ में घाट आदि का भी निर्माण कराया जा रहा है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा.

बनेगा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना

उन्होंने कहा कि पहले यह कार्य वर्ष 2023 में पूरा होना था, लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसे इसी साल पितृपक्ष से पहले पूरा कर लिया जायेगा. वे शुक्रवार को विधान परिषद में सदस्य राजेंद्र प्रसाद गुप्ता के सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि गया शहरी क्षेत्र के मनसरवा एवं अन्य नालों का गंदा पानी फल्गु नदी में नहीं गिराने और उसे अन्य उपयोग में लाने के मुख्यमंत्री के निर्देश पर संबंधित विभागों द्वारा जरूरी कार्रवाई की जा रही है. नालों के गंदे पानी को शोधित करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना का कार्य नगर विकास विभाग द्वारा कराया जाना है. शोधित जल को पइन में प्रवाहित कर उसे सिंचाई के उपयोग में लाने के लिए जल संसाधन विभाग योजना बना रहा है.

राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति का ड्राफ्ट तैयार

सदस्य नीरज कुमार के ध्यानाकर्षण सूचना पर जल संसाधन मंत्री ने बताया कि बिहार सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने एक राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति का सूत्रण किया गया है, जिस पर बिहार सरकार द्वारा गठित मंतव्य से भारत सरकार को अवगत करा दिया गया है. पुन: भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2021 में नेशनल फ्रेमवर्क फॉर सेडिमेंट मैनेजमेंट का ड्राफ्ट तैयार कर मंतव्य हेतु बिहार सरकार को उपलब्ध कराया गया है.

एक प्रभावी राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति के शीघ्र अधिसूचित किये जाने हेतु बिहार सरकार प्रयासरत है. गाद नीति के कार्यान्वयन के उपरांत बिहार की नदियों के गाद के निराकरण की दिशा में ठोस समाधान संभव हो पायेगा. उन्होंने बताया कि नेपाल से आने वाली नदियां अपने साथ बड़ी मात्रा में गाद भी लाती हैं. इससे उत्तर बिहार में नदियों का तल ऊंचा होता है. यह नदियों/ नालों/ धारों की जलवहन क्षमता को कम करते हुए जल फैलाव एवं जलजमाव का कारण बनता है.

बिहार में 1.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हुआ जलजमाव से मुक्त

सदस्य सुनील कुमार सिंह से प्राप्त अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में जल संसाधन मंत्री ने बताया कि बिहार में लगभग 9.41 लाख हेक्टेयर क्षेत्र जलजमाव की समस्या से ग्रस्त था. राज्य सरकार द्वारा अब तक किये गये प्रयासों से 1.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जलजमाव से मुक्त किया जा चुका है. शेष 7.61 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से 2.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को जलजमाव से मुक्त करना आर्थिक दृष्टिकोण से लाभप्रद नहीं है. इस क्षेत्र का जल एक्वाकल्चर, मत्स्य पालन, भू-गर्भ जल का रिचार्ज, इकोलॉजिकल बैलेंस आदि हेतु ज्यादा सार्थक होगा.

गंडक नदी की बाढ़ से बचाव के लिए डीपीआर हो रहा तैयार

मंत्री ने बताया कि संबंधित जिलों को गंडक नदी की बाढ़ एवं जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए डीपीआर तैयार करने का कार्य भारत सरकार की संस्था वैपकॉस को सौंपा गया है. इसके तकनीकी सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है और विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है. इसके अलावा सर्वाधिक बाढ़ग्रस्त क्षेत्र मधुबनी, दरभंगा एवं समस्तीपुर जिलों में बाढ़ एवं जलजमाव की समस्या को कम करने तथा नये कमांड क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता को देखते हुए क्षेत्र का सर्वेक्षण कराने और एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन एवं विकास की योजना बनाने की विभागीय प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.

Next Article

Exit mobile version