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लंबित कांडों में हो रही बढ़ोतरी

गया: गया जिले में लंबित कांडों की संख्या में हर महीने अप्रत्याशित वृद्धि होती जा रही है. अगर लंबित कांडों की संख्या में ऐसी ही बढ़ोतरी होती रही तो अगले दो माह में यह आंकड़ा चार हजार के पार कर जायेगा. अक्तूबर माह के अंत तक जिले में 3755 कांड लंबित हैं, जबकि जनवरी माह […]

गया: गया जिले में लंबित कांडों की संख्या में हर महीने अप्रत्याशित वृद्धि होती जा रही है. अगर लंबित कांडों की संख्या में ऐसी ही बढ़ोतरी होती रही तो अगले दो माह में यह आंकड़ा चार हजार के पार कर जायेगा. अक्तूबर माह के अंत तक जिले में 3755 कांड लंबित हैं, जबकि जनवरी माह में यह आंकड़ा 2198 पर था. हर महीने लंबित कांडों की संख्या बढ़ती चली गयी. लंबित कांडों का यह आंकड़ा फरवरी में बढ़ कर 2216, मार्च में 2533, अप्रैल में 2708, मई में 2869, जून में 3021, जुलाई में 3164, अगस्त में 3313, सितंबर में 3570 और अक्तूबर में बढ़ कर 3755 हो गया. लंबित कांडों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि के कारण पटना पुलिस प्रक्षेत्र के अधीन आने वाले पटना, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, अरवल व रोहतास जिले में गया दूसरे स्थान पर पहुंच गया है. पटना जिले में सर्वाधिक सात हजार से अधिक कांड लंबित हैं. वहीं, तीसरे स्थान पर औरंगाबाद जिला है, जहां दो हजार से अधिक मामले लंबित हैं.

डीआइजी का फरमान जारी
अगर, जिले में लंबित कांडों का आंकड़ा चार हजार से पार कर गया तो यह मई, 2011 का रेकॉर्ड तोड़ देगा. मई, 2011 में जिले में 4001 कांड लंबित थे. उस समय के डीजीपी नीलमणि ने इसे गंभीरता से लिया और जून माह में डीआइजी उमेश कुमार व एसएसपी विनय कुमार को पटना तलब किया व लंबित कांडों को तेजी से निबटाने का निर्देश दिया. साथ ही लंबित कांडों की फाइल पर कुंडली मार कर बैठे पुलिस पदाधिकारियों को अक्षम घोषित कर उनकी पोस्टिंग कार्यालय में कर देने का निर्देश दिया. डीजीपी के इस फरमान से पुलिस पदाधिकारियों में हड़कंप मच गया. इसका असर यह हुआ कि जून, 2011 में लंबित कांड की संख्या घट कर 3544 हो गयी. इसके बाद हर महीने लंबित कांडों की संख्या घटती चली गयी.

आंकड़ों के अनुसार, वर्ष, 2011 में जुलाई में 3369, अगस्त में 3174, सितंबर में 3038, अक्तूबर में 3012, नवंबर में 2919 व दिसंबर में लंबित कांड की संख्या 2917 तक पहुंच गयी. इसके बाद वर्ष, 2012 में यह आंकड़ा घट कर जनवरी माह में 2884, फरवरी में 2814, मार्च में 2813, अप्रैल में 2828, मई में 2844, जून में 2862, जुलाई में 2633, अगस्त में 2392, सितंबर में 2416, अक्तूबर में 2355, नवंबर में 2364 और दिसंबर में 2232 तक आ गयी.

इसके बाद वर्ष, 2013 में यह आंकड़ा घट कर जनवरी माह में 2198 तक पहुंच गया. लेकिन, इस माह के बाद लगातार लंबित कांडों की संख्या में बढ़ोतरी होती चली गयी. अक्तूबर, 2013 तक यह आंकड़ा 3755 तक पहुंच गयी.

..तो होगी कार्रवाई
मगध के डीआइजी बच्चू सिंह मीणा ने बताया कि लंबित कांडों की संख्या में इस वर्ष लगातार बढ़ोतरी हुई है. यह गंभीर मामला है. कांडों पर कुंडली मार कर बैठनेवाले पुलिस पदाधिकारी की पहचान की जा रही है. ऐसे पुलिस पदाधिकारियों को आरोपितों को लाभ पहुंचाने व इन्वेस्टिगेशन में व्यवधान पहुंचाने के आरोप में कठोर कार्रवाई करने का निर्देश एसएसपी को दिया गया है.

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