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सातवीं बार भी ”प्रेम रतन” धन पायो

गया : गया टाउन विधानसभा सीट से लगातार सातवीं बार डाॅ प्रेम कुमार ने जीत दर्ज की. भाजपा के इस कद्दावर नेता की जीत पर संशय बनाने के लिए मतगणना के दौरान मतगणना स्थल गया कॉलेज के बाहर कई बार उनके हारने की अफवाह भी फैलायी गयी. लेकिन, पिछली छह बार की तरह ही इस […]

गया : गया टाउन विधानसभा सीट से लगातार सातवीं बार डाॅ प्रेम कुमार ने जीत दर्ज की. भाजपा के इस कद्दावर नेता की जीत पर संशय बनाने के लिए मतगणना के दौरान मतगणना स्थल गया कॉलेज के बाहर कई बार उनके हारने की अफवाह भी फैलायी गयी. लेकिन, पिछली छह बार की तरह ही इस बार भी प्रेम कुमार विजयी रहे.

उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के उम्मीदवार प्रियरंजन को कुल 22,789 मतों के अंतर से हरा दिया. हालांकि, तमाम अफवाहों के बीच शहर का एक बड़ा तबका उनकी जीत सुनिश्चित मान कर ही चल रहा था. मतगणना के अंतिम चरण तक पहुंचते-पहुंचते गया कॉलेज के बाहर सैकड़ों की संख्या में प्रेम कुमार के समर्थक जमा हो गये थे. लंबे समय से उनके सहयोगी के तौर काम करनेवाले डाॅ आर नागमणि ने बताया कि प्रेम कुमार ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के तौर पर छात्र राजनीति शुरू की. इसके बाद 1980 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, तब से वह सक्रिय राजनीति में हैं.

तेजी से बढ़ा जीत का अंतर : डाॅ प्रेम कुमार ने पहली बार 1990 में भाजपा के टिकट पर गया टाउन सीट से चुनाव लड़ा और सीपीआइ के प्रत्याशी शकील अहमद खान को 4960 मतों से हरा दिया. 1995 में प्रेम ने सीपीआइ प्रत्याशी मसूद मंजर को 7111 मतों से व 2000 में भी श्री मंजर को ही 4059 मतों से मात दी. साल 2005 में भी मसूद मंजर एक बार फिर प्रेम कुमार के सामने थे. लेकिन, प्रेम का विजय रथ रुकने वाला ही नहीं था. इस बार तो उनके राजनीतिक कैरियर में बड़ा उछाल अाया. उन्होंने सीपीआइ प्रत्याशी मसूद मंजर को 20,587 मतों के विशाल अंतर से हराया.

पुराने भाजपा नेता बताते हैं कि यह परिणाम भाजपा व डाॅ प्रेम कुमार की बढ़ती लोकप्रियता का प्रतिफल था. 2005 में अक्तूबर में बिहार में फिर से विधानसभा चुनाव हुए़ प्रेम कुमार के सामने इस बार कांग्रेस के टिकट पर जाने-माने साहित्यकार व रंगकर्मी संजय सहाय थे.

संजय सहाय भी शहर में बड़े शख्सियतों में से एक थे, लेकिन इसका प्रेम के विजयी रथ पर श्री सहाय के व्यक्तित्व का असर नहीं पड़ा. इस चुनाव में उन्होंने 24,891 मतों से जीत दर्ज की़ विस चुनाव के बाद राज्य में जदयू व भाजपा के गंठबंधन की सरकार बनी. डाॅ प्रेम कुमार को गया से लगातार पार्टी को जीत दिलाने का पुरस्कार मिला. उन्हें सरकार में पीएचइडी मंत्री का दर्जा मिला. 2010 का चुनाव प्रेम के लिए और भी फायदेमंद साबित हुआ. इस बार उन्होंने सीपीआइ के प्रत्याशी जलालुद्दीन अंसारी को 28,417 मतों से हराया. इन पांच वर्षों में वह दो बार मंत्री बने. पहले पथ निर्माण, फिर नगर विकास व आवास विभाग का कामकाज देखा. लेकिन, इस बार कहा जा रहा था कि प्रेम के लिए यह चुनाव मुश्किल भरा होगा़ लेकिन, इस बार भी प्रेम का विजयी रथ नहीं रुका और कांग्रेस प्रत्याशी प्रियरंजन को 22,789 मतों से पटखनी दी.

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