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बड़ी को पछाड़ छोटी बनी टॉपर

बोधगया: फोटो कॉपियर की दुकान चलाकर अपने परिवार की नैया खेवने वाले हसीमुल हक को अपनी बेटियों पर नाज है. मुफलिसी के बाद भी उनकी बेटियों ने बीएचएमएस की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है. उनकी छोटी बेटी जहां कॉलेज टॉपर बनी, तो सबसे बड़ी बेटी गजाला नोशी थर्ड टॉपर. बड़ी बहन को पछाड़ कर […]

बोधगया: फोटो कॉपियर की दुकान चलाकर अपने परिवार की नैया खेवने वाले हसीमुल हक को अपनी बेटियों पर नाज है. मुफलिसी के बाद भी उनकी बेटियों ने बीएचएमएस की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है.

उनकी छोटी बेटी जहां कॉलेज टॉपर बनी, तो सबसे बड़ी बेटी गजाला नोशी थर्ड टॉपर. बड़ी बहन को पछाड़ कर वसीला आफीरीनी ने बीएचएमएस में अपने कॉलेज में टॉपर की है. बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर से संबद्ध डॉ रामबालक सिंह होमियोपैथिक कॉलेज, अमवां में पढ़ाई के दौरान कई बार गरीबी आड़े भी आयी, लेकिन कुदरत का करिश्मा रहा कि आड़े आयी गरीबी दूर हो गयी और दोनों बहनों ने न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की, बल्कि कॉलेज का भी मान बढ़ाया. हालांकि, एक बार फिर आगे की पढ़ाई के लिए गरीबी आड़े आ रही है, क्योंकि अब पिता भी ‘बेरोजगार’ हो गये हैं.

हसीमुल हक की बोधगया के महाबोधि शॉपिंग कॉम्पलेक्स में फोटो कॉपियर की दुकान थी, किंतु बम विस्फोट के बाद प्रशासनिक दखल अंदाजी के कारण कॉम्प्लेक्स की सारी दुकानें तोड़ दीं गयीं. कॉम्प्लेक्स में हसीमुल हक की भी फोटो कॉपियर की दुकान थी.

हसीमुल हक आज ‘रोजगार’ के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. दोनों बेटियों की ख्वाहिश है कि वो होमियोपैथिक में एमडी करे. गजाला नोशी और वसीला आफीरीन की सफलता पर मां शकीला खातून भी खुश है, लेकिन इस बात पर मायूस हैं कि अब तो निश्चित तौर पर पैसे आड़े आयेगा. शकीला बताती हैं कि उन्हें अपनी बेटियों पर गर्व है. दोनों बचपन में ही कुशाग्र थी. दोनों में पढ़ने की ललक ऐसी थी कि घर पर भी पढ़ाई की होड़ लगायी रहती थी.

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